जब से साईं की ज्योति जली है साईं भजन
जब से साईं की ज्योति जली है साईं भजन
मिट गया मन का सारा अंधेरा,
जब से साईं की ज्योति जली है,
ज़िंदगी के मज़े आ रहे हैं,
जब से साईं की चौखट मिली है।
मिट गया मन का सारा अंधेरा।।
दर-बदर फिर रहा था मारा,
कोई अपना नहीं था हमारा,
मिल गई मुझे मंज़िल,
जब से मिल गया साईं जी का सहारा।
कर दिया साईं जी ने करम जो,
मेरी सूनी ये बगिया खिली है।
मिट गया मन का सारा अंधेरा,
जब से साईं की ज्योति जली है,
ज़िंदगी के मज़े आ रहे हैं,
जब से साईं की चौखट मिली है।
मिट गया मन का सारा अंधेरा।।
जब बुरा वक्त मुझपे आया,
हो गए थे अपने बेगाने,
देख हालात मुश्किल में मेरे,
दूरियाँ थे लगे सब बनाने।
साईं का जब सहारा मिला तो,
पल में सारी मुसीबत टली है।
ज़िंदगी के मज़े आ रहे हैं,
जब से साईं की चौखट मिली है।
मिट गया मन का सारा अंधेरा,
जब से साईं की ज्योति जली है।।
मुझसे बेहतर ये किसको पता है,
ध्यान साईं का निष्फल न जाए,
भाव से साईं सुमिरन जो कर ले,
हैसियत से भी ज़्यादा वो पाए।
साईं जैसा दयालु न कोई,
चर्चा गाँव, शहर, हर गली है।
ज़िंदगी के मज़े आ रहे हैं,
जब से साईं की चौखट मिली है।
मिट गया मन का सारा अंधेरा,
जब से साईं की ज्योति जली है।।
मैं मुकद्दर का कितना धनी हूँ,
साईं ने मुझे अपना बनाया,
लेके अपनी शरण साईं जी ने,
मंत्र श्रद्धा, सबुरी सिखाया।
डूबने को जो थी मेरी नैया,
वो किनारे पे आ लगी है।
मिट गया मन का सारा अंधेरा,
जब से साईं की ज्योति जली है।
मिट गया मन का सारा अंधेरा,
जब से साईं की ज्योति जली है।।
जब से साईं की ज्योति जली है,
ज़िंदगी के मज़े आ रहे हैं,
जब से साईं की चौखट मिली है।
मिट गया मन का सारा अंधेरा।।
दर-बदर फिर रहा था मारा,
कोई अपना नहीं था हमारा,
मिल गई मुझे मंज़िल,
जब से मिल गया साईं जी का सहारा।
कर दिया साईं जी ने करम जो,
मेरी सूनी ये बगिया खिली है।
मिट गया मन का सारा अंधेरा,
जब से साईं की ज्योति जली है,
ज़िंदगी के मज़े आ रहे हैं,
जब से साईं की चौखट मिली है।
मिट गया मन का सारा अंधेरा।।
जब बुरा वक्त मुझपे आया,
हो गए थे अपने बेगाने,
देख हालात मुश्किल में मेरे,
दूरियाँ थे लगे सब बनाने।
साईं का जब सहारा मिला तो,
पल में सारी मुसीबत टली है।
ज़िंदगी के मज़े आ रहे हैं,
जब से साईं की चौखट मिली है।
मिट गया मन का सारा अंधेरा,
जब से साईं की ज्योति जली है।।
मुझसे बेहतर ये किसको पता है,
ध्यान साईं का निष्फल न जाए,
भाव से साईं सुमिरन जो कर ले,
हैसियत से भी ज़्यादा वो पाए।
साईं जैसा दयालु न कोई,
चर्चा गाँव, शहर, हर गली है।
ज़िंदगी के मज़े आ रहे हैं,
जब से साईं की चौखट मिली है।
मिट गया मन का सारा अंधेरा,
जब से साईं की ज्योति जली है।।
मैं मुकद्दर का कितना धनी हूँ,
साईं ने मुझे अपना बनाया,
लेके अपनी शरण साईं जी ने,
मंत्र श्रद्धा, सबुरी सिखाया।
डूबने को जो थी मेरी नैया,
वो किनारे पे आ लगी है।
मिट गया मन का सारा अंधेरा,
जब से साईं की ज्योति जली है।
मिट गया मन का सारा अंधेरा,
जब से साईं की ज्योति जली है।।
मिट गया मन का सारा अँधेरा Jab Se Sai Ki Jyoti Jali Hai | Sai Baba Song | Sai Aashirwad
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उस परम दयालु और कृपानिधान की कृपा ऐसी है कि उनके स्मरण मात्र से ही मन का सारा अंधेरा छँट जाता है और जीवन प्रकाशमय हो उठता है। जब भक्त उनके दर पर पहुँचता है, तो वह अपने जीवन की हर दिशाहीनता और निराशा को उनके चरणों में समर्पित कर देता है। उनकी ज्योति ऐसी है कि वह न केवल भक्त के जीवन को रोशन करती है, बल्कि उसे उस मंजिल तक ले जाती है, जहाँ उसे सच्चा सुख और शांति प्राप्त होती है। यह कृपालु स्वरूप अपने भक्तों को तब भी संभाल लेता है, जब सारे अपने पराए हो जाएँ और संसार की कठिनाइयाँ चारों ओर से घेर लें।
उनकी कृपा का प्रभाव इतना गहन है कि जो भक्त सच्चे भाव और श्रद्धा के साथ उनका स्मरण करता है, उसे उसकी हैसियत से कहीं अधिक प्राप्त होता है। वह अपने भक्तों को न केवल भौतिक सुख प्रदान करता है, बल्कि उन्हें श्रद्धा और सबूरी का वह अनमोल मंत्र भी देता है, जो जीवन की हर डगमगाती नैया को किनारे तक पहुँचा देता है। उनकी यह दयालुता हर गाँव, शहर और गली में चर्चित है, क्योंकि उनका दरबार वह पवित्र स्थल है, जहाँ हर सवाली को सहारा मिलता है।
उनकी कृपा का प्रभाव इतना गहन है कि जो भक्त सच्चे भाव और श्रद्धा के साथ उनका स्मरण करता है, उसे उसकी हैसियत से कहीं अधिक प्राप्त होता है। वह अपने भक्तों को न केवल भौतिक सुख प्रदान करता है, बल्कि उन्हें श्रद्धा और सबूरी का वह अनमोल मंत्र भी देता है, जो जीवन की हर डगमगाती नैया को किनारे तक पहुँचा देता है। उनकी यह दयालुता हर गाँव, शहर और गली में चर्चित है, क्योंकि उनका दरबार वह पवित्र स्थल है, जहाँ हर सवाली को सहारा मिलता है।
Singer : Amit Mutreaja
Lyrics : Shardul Rathod
Music: Samuel Paul
Music Label : Wings Music
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Music Label : Wings Music
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Author - Saroj Jangir
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