सत्संग रूपी नाव बनाओ , इस विध उतरो पार, ज्ञान बादली सूरत चली है, सेवक सर्जन हार, भरोसे थारे चाले जी, सतगुरु म्हारी नाव,
भरोसे थारे चाले जी, सतगुरु म्हारी नाव।
कहत कबीर सुणो भाई साधो, मैं तो था मझधार, रामानंद मिला गुरु पूरा, कर दिया बेड़ा पार, भरोसे थारे चाले जी, सतगुरु म्हारी नाव, भरोसे थारे चाले जी, सतगुरु म्हारी नाव।