नहीं है हमारे कुटुम्ब कबीलो, नहीं हमारे परिवार, आप बिना दूजा नहीं जग में, नहीं है तारण हार, भरोसे थारे चाले जी, सतगुरु म्हारी नाव, भरोसे थारे चाले जी, सतगुरु म्हारी नाव।
भवसागर उंडा घणा जी, जाऊ मै परली पार, निगाह करूं तो नजर ना आवे, भवसागर की धार, भरोसे थारे चाले जी, सतगुरु म्हारी नाव, भरोसे थारे चाले जी, सतगुरु म्हारी नाव।
डुब्या जहाज समुंद्र मे गहरी, किस विध उतरु पार, काम क्रोध मगरमच्छ डोले, खावण ने तैयार, भरोसे थारे चाले जी, सतगुरु म्हारी नाव, भरोसे थारे चाले जी, सतगुरु म्हारी नाव।
सत्संग रूपी नाव बनाओ , इस विध उतरो पार, ज्ञान बादली सूरत चली है, सेवक सर्जन हार, भरोसे थारे चाले जी, सतगुरु म्हारी नाव, भरोसे थारे चाले जी, सतगुरु म्हारी नाव।
कहत कबीर सुणो भाई साधो, मैं तो था मझधार, रामानंद मिला गुरु पूरा, कर दिया बेड़ा पार, भरोसे थारे चाले जी, सतगुरु म्हारी नाव, भरोसे थारे चाले जी, सतगुरु म्हारी नाव।