मेरे स्वरों को अपना स्वर दो गाऊँ

मेरे स्वरों को अपना स्वर दो गाऊँ

(मुखड़ा)
मेरे स्वरों को अपना स्वर दो,
गाऊँ मैं तेरी वाणी,
कंठ बसो महारानी,
कंठ बसो महारानी।।

(अंतरा)
सुर का ज्ञान नहीं,
लय का ज्ञान नहीं,
तेरी वंदना इन होठों से,
फिर भी मैं तो गाऊँ,
फिर भी मैं तो गाऊँ,
ना मैं जानूँ कुछ भी मैया,
मैं तो हूँ माँ अज्ञानी,
कंठ बसो महारानी,
कंठ बसो महारानी।।

नाम तेरा गाऊँ,
दर्शन तेरा पाऊँ,
छोड़ तुम्हें मैं, शारदे मैया,
मुझको बता, कहाँ जाऊँ,
मुझको बता, कहाँ जाऊँ,
तेरे चरणों में अर्पण है,
आनंद की जिंदगानी,
कंठ बसो महारानी,
कंठ बसो महारानी।।

(पुनरावृति)
मेरे स्वरों को अपना स्वर दो,
गाऊँ मैं तेरी वाणी,
कंठ बसो महारानी,
कंठ बसो महारानी।।
 


सरस्वती वन्दना। राग शिवरंजनी। मेरे स्वरों को अपना स्वर दो। ऐसी सरस्वती वन्दना आपने पहले कभी नहीं स
Next Post Previous Post