जय हो माई की, चिंता काई की, पंडा के देवी आ गई हैं, अपनी कला दिखा रही हैं, जय हो माई की, चिंता काई की, पंडा के देवी आ गई हैं, अपनी कला दिखा रही हैं।
पहलो आई महीयर वाली, जैसे पंडा पढ़े अखारी, उठा भभूती पढ़ के मारी, गिन गिन के नाम बता रही हैं, पंडा के देवी आ गई हैं,
जय हो माई की, चिंता काई की, पंडा के देवी आ गई हैं, अपनी कला दिखा रही हैं।
काल परोसे मूड़ पिरावे, किवड़ा खोल खोल भाग जावे, तेरे टेरे निगाह ना आवे, चम्पा बहुत घबरा रही हैं, पंडा के देवी आ गई हैं, जय हो माई की, चिंता काई की, पंडा के देवी आ गई हैं, अपनी कला दिखा रही हैं।
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नारियल निम्बुआ मांगे पंडा, और देशी मुर्गी को अंडा, दो दो लगे करिया झंडा, संजो ऐसी बता रही हैं, हां बता रही हैं, पंडा के देवी आ गई हैं, जय हो माई की, चिंता काई की, पंडा के देवी आ गई हैं, अपनी कला दिखा रही हैं।
खेल रही जोगन लटे छिटकाये, पंडा बाबा के, देवी संभारी ना जाये,
नारियल के मचल गई जगदम्बा, नारियल के मचल गई जगदम्बा, जय हो माई की, चिंता काई की, पंडा के देवी आ गई हैं, अपनी कला दिखा रही हैं।
जय हो माई की, चिंता काई की, पंडा के देवी आ गई हैं, अपनी कला दिखा रही हैं, जय हो माई की, चिंता काई की, पंडा के देवी आ गई हैं, अपनी कला दिखा रही हैं।