पता नहीं किस रूप में आकर नारायण मिल जायेगा लिरिक्स Narayan Mil Jayega Lryics

पता नहीं किस रूप में आकर नारायण मिल जायेगा लिरिक्स Narayan Mil Jayega Lryics, Devotional Bhajan

पता नहीं किस रूप में आकर,
नारायण मिल जायेगा,
निर्मल मन के दर्पण में,
वह राम के दर्शन पायेगा,
पता नहीं किस रूप में,
आकर नारायण मिल जायेगा,
निर्मल मन के दर्पण में,
वह राम के दर्शन पायेगा।

सांस रुकी तेरे दर्शन को,
न दुनिया में मेरा लगता मन,
शबरी बनके बैठा हूं मैं,
श्री राम में अटका मन,
बेकरार मेरे दिल को मैं,
कितना भी समझा लूं,
राम दर्श के बाद,
दिल छोड़ेगा ये धड़कन,
काले युग का प्राणी हूं,
पर जीता हूं मैं त्रेतायुग,
कर्ता हूं महसुस पलों को,
माना ना वो देखा युग,
देगा युग कलि का ये,
पापों के उपहार कई,
छंद मेरा पर गाने का,
हर प्राणी को देगा सुख,
हरि कथा का वक्ता हूं मैं,
राम भजन की आदत,
राम आभारी शायर,
मिल जो रही है दावत,
हरि कथा सुना के मैं,
छोड़ तुम्हें कल जाऊंगा,
बाद मेरे ना गिरने देना,
हरि कथा विरासत,
पाने को दीदार प्रभु के,
नैन बड़े ये तरसे है,
जान सके ना कोई वेदना,
रातों को ये बरसे है,
किसे पता किस मौके पे,
किस भूमि पे किस कोने में,
मेले में या वीराने में,
श्री हरि हमें दर्शन दे।

पता नहीं किस रूप में आकर,
नारायण मिल जायेगा,
निर्मल मन के दर्पण में,
वह राम के दर्शन पायेगा,
पता नहीं किस रूप में आकर,
नारायण मिल जायेगा,
निर्मल मन के दर्पण में,
वह राम के दर्शन पायेगा।

इंतजार में बैठा हूं,
कब बीतेगा ये काला युग,
बीतेगी ये पीड़ा और,
भारी दिल के सारे दुख,
मिलने को हूं बेकरार पर,
पापों का मैं भागी भी,
नज़रें मेरी आगे तेरे,
श्री हरि जायेगी झुक,
राम नाम से जुड़े हैं ऐसे,
खुद से भी ना मिल पाये,
कोई ना जाने किस चेहरे में,
राम हमें कल मिल जाये,
वैसे तो मेरे दिल में हो पर,
आंखें प्यासी दर्शन की,
शाम सवेरे सारे मौसम,
राम गीत ही दिल गए,
रघुवीर ये विनती है तुम,
दूर करो अंधेरों को,
दूर करो परेशानी के,
सारे भुखे शेरों को,
शबरी बनके बैठा पर,
काले युग का प्राणी हूं,
मैं जूठा भी ना कर पाऊंगा,
पापी मुंह से बेरो को,
बन चुका बैरागी दिल,
नाम तेरा ही लेता है,
शायर अपनी सांसें ये,
राम सिया को देता है,
और नहीं इच्छा है अब,
जीने की मेरी राम यहां,
बाद मुझे मेरी मौत के,
बस ले जाना तुम त्रेता में।

पता नहीं किस रूप में आकर,
नारायण मिल जायेगा,
निर्मल मन के दर्पण में,
वह राम के दर्शन पायेगा,
पता नहीं किस रूप में आकर,
नारायण मिल जायेगा,
निर्मल मन के दर्पण में,
वह राम के दर्शन पायेगा।

बन चुका बैरागी दिल,
नाम तेरा ही लेता है,
शायर अपनी सांसें ये,
राम सिया को देता है,
और नहीं इच्छा है अब,
जीने की मेरी राम यहां,
बाद मुझे मेरी मौत के,
बस ले जाना तुम त्रेता में।

पता नहीं किस रूप में आकर,
नारायण मिल जायेगा,
निर्मल मन के दर्पण में,
वह राम के दर्शन पायेगा,
पता नहीं किस रूप में,
आकर नारायण मिल जायेगा,
निर्मल मन के दर्पण में,
वह राम के दर्शन पायेगा।




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