तन पर लाल सिंदूर लगाकर, देखो नाच रहे बालाजी, देखो नाच रहे बालाजी, देखो नाच रहे बालाजी, हाथों में खड़ताल बजाकर, देखो नाच रहे बालाजी, तन पर लाल सिंदूर लगाकर, देखो नाच रहे बालाजी।
बैठे सज कर चारों भाई, लक्ष्मण जयंत भरत रघुराई, रघुवर आगे शीश झुका कर, देखो नाच रहे बालाजी, तन पर लाल सिंदूर लगाकर, देखो नाच रहे बालाजी।
हो गए बालाजी दीवाने, अपने राम को लगे रिझाने, कैसे अपनी गदा घुमा कर, देखो नाच रहे बालाजी, तन पर लाल सिंदूर लगाकर, देखो नाच रहे बालाजी।
बोले खुश होकर के भगवान, तुमको वर देते हैं हनुमान, यश पा रहे सिंदूर चढ़ाकर, देखो नाच रहे बालाजी, तन पर लाल सिंदूर लगाकर, देखो नाच रहे बालाजी।
भाव से जो सिंदूर चढ़ाते, वह तो मन वंचित फल पाते, देखो हो गए लाल लाल, देखो नाच रहे बालाजी, तन पर लाल सिंदूर लगाकर, देखो नाच रहे बालाजी।
तन पर लाल सिंदूर लगाकर, देखो नाच रहे बालाजी, देखो नाच रहे बालाजी, देखो नाच रहे बालाजी, हाथों में खड़ताल बजाकर, देखो नाच रहे बालाजी, तन पर लाल सिंदूर लगाकर, देखो नाच रहे बालाजी।