श्री भगवती स्तोत्रं
जय भगवति देवि नमो वरदे,
जय पाप विनाशिनी बहु फलदे,
जय भगवति देवि नमो वरदे,
जय पाप विनाशिनी बहु फलदे।
जय शुम्भ निशुम्भ कपाल धरे,
प्रणमामि तु देवि नरार्तिहरे।
जय शुम्भ निशुम्भ कपाल धरे,
प्रणमामि तु देवि नरार्तिहरे।
जय चन्द्र दिवाकर नेत्र धरे,
जय पावक भूषित वक्त्र वरे।
जय चन्द्र दिवाकर नेत्र धरे,
जय पावक भूषित वक्त्र वरे।
जय भैरव देह निलीन परे,
जय अन्धक दैत्य विशोष करे।
जय भैरव देह निलीन परे,
जय अन्धक दैत्य विशोष करे।
जय महिष विमर्दिनी शूलकरे,
जय लोक समस्त क पाप हरे।
जय महिष विमर्दिनी शूलकरे,
जय लोक समस्त क पाप हरे।
जय देवि पिता मह विष्णु नते,
जय भास्कर शक्र शिरो वनते।
जय देवि पिता मह विष्णु नते,
जय भास्कर शक्र शिरो वनते।
जय पाप विनाशिनी बहु फलदे,
जय भगवति देवि नमो वरदे,
जय पाप विनाशिनी बहु फलदे।
जय शुम्भ निशुम्भ कपाल धरे,
प्रणमामि तु देवि नरार्तिहरे।
जय शुम्भ निशुम्भ कपाल धरे,
प्रणमामि तु देवि नरार्तिहरे।
जय चन्द्र दिवाकर नेत्र धरे,
जय पावक भूषित वक्त्र वरे।
जय चन्द्र दिवाकर नेत्र धरे,
जय पावक भूषित वक्त्र वरे।
जय भैरव देह निलीन परे,
जय अन्धक दैत्य विशोष करे।
जय भैरव देह निलीन परे,
जय अन्धक दैत्य विशोष करे।
जय महिष विमर्दिनी शूलकरे,
जय लोक समस्त क पाप हरे।
जय महिष विमर्दिनी शूलकरे,
जय लोक समस्त क पाप हरे।
जय देवि पिता मह विष्णु नते,
जय भास्कर शक्र शिरो वनते।
जय देवि पिता मह विष्णु नते,
जय भास्कर शक्र शिरो वनते।
श्री भगवती स्तोत्रं।। Shri Bhagwati Stotram
जय भगवति देवि नमो वरदे,
जयपापविनाशिनी बहुफलदे।
जयशुम्भनिशुम्भकपालधरे,
प्रणमामि तु देवि नरार्तिहरे।।1।।
जयचन्द्रदिवाकरनेत्रधरे,
जय पावकभूषितवक्त्रवरे।
जय भैरवदेहनिलीनपरे,
जय अन्धकदैत्यविशोषकरे।।2।।
जय महिषविमर्दिनी शूलकरे,
जय लोकसमस्तकपापहरे।
जयदेवि पितामहविष्णुनते,
जय भास्करशक्रशिरोवनते।।3।।
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