भारत गौरव गान भाग दस विश्व गुरु भारत लिरिक्स Bharat Gourav Gaan Lyrics

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35 सतियां
सुनो जरा अब ललनाओं की,
गौरवमयी कथा सारी,
कैसी कैसी हुई सती,
पतिव्रता भारत नारी।
जहां हुई है प्रथम सती,
रानी तारामती सन्नारी,
जहां हुई सीता, सावित्री,
अनुसूया पतिव्रत प्यारी।
एक ही पति के साथ जिन्होंने,
अपनी सभी उमर वारी,
ले जाकर भी पा न सका जिसको,
रावण सम व्यभिचारी।
हार गया जिसके आगे,
यमराज दूत सम बलधारी,
जहां हुई हैं सती सुकन्या,
दमयन्ती और गन्धारी।
विश्व नारी अब भी करती,
उन सतियों पर अभिमान,
है भूमण्डल में भारत देश महान।

36 माताएँ
कौशिल्या, कैकेई और सुमित्रा,
थी जननी सुर खान,
जन्म दिये श्री राम, लक्ष्मण,
भरत, शत्रुघन पुत्र महान।
जग जननी सीता ने पैदा किये,
महा लव, कुश सन्तान,
मात देवकी से तो जन्मे,
कृष्णचन्द्र भगवान सुजान।
कुन्ती, माद्री ने तो पैदा किये,
सु पाण्डव वीर जवान,
धर्म युधिष्ठिर, अर्जुन, भीम,
नकुल, सहदेव, कर्ण बलवान।
और सुभद्रा के अभिमन्यु को,
जानत है सकल जहान,
मात अन्जनी ने तो पैदा किया,
पवन से सुत हनुमान।
और जीजामाता ने किया,
शिवाजी का निर्माण,
है भूमण्डल में भारत देश महान।

37 विदुषियां
जहां हुई लोपा मुद्रा सी,
महा विदुषी श्रुति प्यारी,
विदुला, अंशुमती, गार्गी,
मैत्रेयी थी विदुषी नारी।
अरुन्धती, मदालसा, सुलभा,
चतुर विदुषी थी सारी,
औ लिलावती गणित कला की,
हुई विदुषी महतारी।
मण्डन मिश्रकी पत्नी से,
शास्त्रार्थ किये शंकर भारी,
जीत गई मण्डन पत्नी अरु,
शंकर ने बाजी हारी।
हुई सत्यभामा, रुक्मिन,
लक्ष्मी, राधा जग में न्यारी,
सत्यवती, उर्मिला व विद्याधरी,
निपुण थी सन्नारी।
राजदुलारी मीरा हुई,
जहां जोगन भागवान,
है भूमण्डल में भारत देश महान।

38 वीरांगनाएँ
जानत जग काली, दुर्गा सी,
रण चण्डी मरदानी को,
रमणी महा अहिल्या बाई,
झांसी की महारानी को।
कौन नहीं जानत है,
पन्नादाई राजस्थानी को,
कौन नहीं जानत है दुर्गावती,
महा क्षत्राणी को।
कौन नहीं जानत है,
महा सती पद्मिनी कहानी को,
कृष्णकुमारी, हांड़ीरानी,
मैना की कुर्बानी को।
वीरांगना झलकारीबाई,
लक्ष्मीबाई सयानी को,
कमला, सरोजिनी,
लक्ष्मीनाथन सी,
देश दिवानी को।
गार्गी मैत्रेयी सुलभा को,
जानत सकल जहान,
है भूमण्डल में भारत देश महान।

39 तीर्थस्थान
जहां सुशोभित बड़े बड़े,
मठ मन्दिर पावन तीर्थस्थान,
गिरि विंध्याचल, गौरीशंकर,
गोवर्धन, कैलाश उत्तान।
गंगोत्री, हरिद्वार, बनारस,
काशी, गया, प्रयागमहान,
गुफा-अजन्ता, कलकत्ता,
मदुरा, बम्बई, हैं कीर्तिवान।
पूरब में है जगन्नाथ,
है सोमनाथ पश्चिम में आन,
उत्तर में है बद्रिनाथ,
दक्षिण में है रामेश्वर मान।
नगर अयोध्या, गोकुल, मथुरा,
वृन्दावन भूतल भगवान,
पुष्कर पाटलीपुत्र व दिल्ली,
इन्द्रप्रस्थ कुरुक्षेत्र महान,
नासिक आग्रा गढ़ चित्तौड़,
ग्वालीयर आलीशान।
है भूमण्डल में भारत देश महान।

40 प्रान्त
जहां महा काश्मीर हमारा है,
भूतल पर स्वर्ग समान,
बिहार, उत्तर, मध्य प्रदेश,
सुप्रांत जहां शोभा की खान।
वीर प्रांत है महाराष्ट्र, पंजाब,
और प्रिय राजस्थान,
स्वर्ण भूमि बंगाल जहां है,
अरु गुजरात जहां धनवान।
कर्नाटक मदरास, आन्ध्र हैं,
दक्षिण में प्रिय प्रान्त महान,
और जहां आसाम प्रांत उडिसा,
मन मोहक सुस्थान।
बर्मा, सिंगापुर, रंगुन, नेपाल,
सिन्ध, तिब्बत भूटान,
अखण्ड भारत माता के ही,
शुद्ध अंग हैं आलीशान।
तो जगदीश प्रवासी गा नित,
भारत गौरव गान,
है भूमण्डल में भारत देश महान।




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