देवी खड्गमाला स्तोत्रम
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं ऐं क्लीं सौः,
ॐ नमस्त्रिपुरसुन्दरि,
हृदयदेवी, शिरोदेवी,
शिखादेवी, कवचदेवी,
नेत्रदेवी, अस्त्रदेवी,
कामेश्वरि, भगमालिनि,
नित्यक्लिन्ने, भेरुण्डे,
वह्निवासिनि, महावज्रेश्वरि,
शिवदूति, त्वरिते,
कुलसुन्दरि, नित्ये,
नीलपताके, विजये,
सर्वमङ्गले, ज्वालामालिनि,
चित्रे, महानित्ये,
परमेश्वरपरमेश्वरि, मित्रेशमयि,
षष्ठीशमयि, उड्डीशमयि,
चर्यानाथमयि, लोपामुद्रामयि,
अगस्त्यमयि,
कालतापशमयि, धर्माचार्यमयि,
मुक्तकेशीश्वरमयि,
दीपकलानाथमयि,
विष्णुदेवमयि, प्रभाकरदेवमयि,
तेजोदेवमयि, मनोजदेवमयि,
कल्याणदेवमयि, वासुदेवमयि,
रत्नदेवमयि, श्रीरामानन्दमयि,
अणिमासिद्धे, लघिमासिद्धे,
गरिमासिद्धे, महिमासिद्धे,
ईशित्वसिद्धे, वशित्वसिद्धे,
प्राकाम्यसिद्धे, भुक्तिसिद्धे,
इच्छासिद्धे, प्राप्तिसिद्धे,
सर्वकामसिद्धे, ब्राह्मि,
माहेश्वरि, कौमारि, वैष्णवि,
वाराहि, माहेन्द्रि, चामुण्डे,
महालक्ष्मि, सर्वसङ्क्षोभिणि,
सर्वविद्राविणि, सर्वाकर्षिणि,
सर्ववशङ्करि, सर्वोन्मादिनि,
सर्वमहाङ्कुशे, सर्वखेचरि,
सर्वबीजे, सर्वयोने, सर्वत्रिखण्डे,
त्रैलोक्यमोहन चक्रस्वामिनि,
प्रकटयोगिनि,
कामाकर्षिणि, बुद्ध्याकर्षिणि,
अहंकाराकर्षिणि, शब्दाकर्षिणि,
स्पर्शाकर्षिणि, रूपाकर्षिणि,
रसाकर्षिणि, गन्धाकर्षिणि,
चित्ताकर्षिणि, धैर्याकर्षिणि,
स्मृत्याकर्षिणि, नामाकर्षिणि,
बीजाकर्षिणि, आत्माकर्षिणि,
अमृताकर्षिणि, शरीराकर्षिणि,
सर्वाशापरिपूरकचक्रस्वामिनि,
गुप्तयोगिनि,
अनङ्गकुसुमे, अनङ्गमेखले,
अनङ्गमदने, अनङ्गमदनातुरे,
अनङ्गरेखे, अनङ्गवेगिनि,
अनङ्गाङ्कुशे, अनङ्गमालिनि,
सर्वसङ्क्षोभणचक्रस्वामिनि,
गुप्ततरयोगिनि,
सर्वसङ्क्षोभिणि, सर्वविद्राविनि,
सर्वाकर्षिणि, सर्वह्लादिनि,
सर्वसम्मोहिनि, सर्वस्तम्भिनि,
सर्वजृम्भिणि, सर्ववशङ्करि,
सर्वरञ्जनि, सर्वोन्मादिनि,
सर्वार्थसाधिके,
सर्वसम्पत्तिपूरिणि, सर्वमन्त्रमयि,
सर्वद्वन्द्वक्षयङ्करि,
सर्वसौभाग्यदायकचक्रस्वामिनि,
सम्प्रदाययोगिनि,
सर्वसिद्धिप्रदे, सर्वसम्पत्प्रदे,
सर्वप्रियङ्करि,
सर्वमङ्गलकारिणि, सर्वकामप्रदे,
सर्वदुःखविमोचनि,
सर्वमृत्युप्रशमनि,
सर्वविघ्ननिवारिणि,
सर्वाङ्गसुन्दरि,
सर्वसौभाग्यदायिनि,
सर्वार्थसाधकचक्रस्वामिनि,
कुलोत्तीर्णयोगिनि,
सर्वज्ञे, सर्वशक्ते,
सर्वैश्वर्यप्रदायिनि,
सर्वज्ञानमयि,
सर्वव्याधिविनाशिनि,
सर्वाधारस्वरूपे, सर्वपापहरे,
सर्वानन्दमयी,
सर्वरक्षास्वरूपिणि,
सर्वेप्सितफलप्रदे,
सर्वरक्षाकरचक्रस्वामिनि,
निगर्भयोगिनि,
वशिनि, कामेश्वरि, मोदिनि,
विमले, अरुणे, जयिनि,
सर्वेश्वरि, कौलिनि,
सर्वरोगहरचक्रस्वामिनि,
रहस्ययोगिनि,
बाणिनि, चापिनि, पाशिनि,
अङ्कुशिनि, महाकामेश्वरि,
महावज्रेश्वरि, महाभगमालिनि,
सर्वसिद्धिप्रदचक्रस्वामिनि,
अतिरहस्ययोगिनि,
श्री श्रीमहाभट्टारिके,
सर्वानन्दमयचक्रस्वामिनि,
परापरातिरहस्ययोगिनि,
त्रिपुरे, त्रिपुरेशि,
त्रिपुरसुन्दरि, त्रिपुरवासिनि,
त्रिपुराश्रीः, त्रिपुरमालिनि,
त्रिपुरासिद्धे, त्रिपुराम्ब,
महात्रिपुरसुन्दरि,
महामहेश्वरि, महामहाराज्ञि,
महामहाशक्ते, महामहागुप्ते,
महामहाज्ञप्ते, महामहानन्दे,
महामहास्कन्धे, महामहाशये,
महामहा श्रीचक्रनगरसाम्राज्ञि,
नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमः ।
ॐ नमस्त्रिपुरसुन्दरि,
हृदयदेवी, शिरोदेवी,
शिखादेवी, कवचदेवी,
नेत्रदेवी, अस्त्रदेवी,
कामेश्वरि, भगमालिनि,
नित्यक्लिन्ने, भेरुण्डे,
वह्निवासिनि, महावज्रेश्वरि,
शिवदूति, त्वरिते,
कुलसुन्दरि, नित्ये,
नीलपताके, विजये,
सर्वमङ्गले, ज्वालामालिनि,
चित्रे, महानित्ये,
परमेश्वरपरमेश्वरि, मित्रेशमयि,
षष्ठीशमयि, उड्डीशमयि,
चर्यानाथमयि, लोपामुद्रामयि,
अगस्त्यमयि,
कालतापशमयि, धर्माचार्यमयि,
मुक्तकेशीश्वरमयि,
दीपकलानाथमयि,
विष्णुदेवमयि, प्रभाकरदेवमयि,
तेजोदेवमयि, मनोजदेवमयि,
कल्याणदेवमयि, वासुदेवमयि,
रत्नदेवमयि, श्रीरामानन्दमयि,
अणिमासिद्धे, लघिमासिद्धे,
गरिमासिद्धे, महिमासिद्धे,
ईशित्वसिद्धे, वशित्वसिद्धे,
प्राकाम्यसिद्धे, भुक्तिसिद्धे,
इच्छासिद्धे, प्राप्तिसिद्धे,
सर्वकामसिद्धे, ब्राह्मि,
माहेश्वरि, कौमारि, वैष्णवि,
वाराहि, माहेन्द्रि, चामुण्डे,
महालक्ष्मि, सर्वसङ्क्षोभिणि,
सर्वविद्राविणि, सर्वाकर्षिणि,
सर्ववशङ्करि, सर्वोन्मादिनि,
सर्वमहाङ्कुशे, सर्वखेचरि,
सर्वबीजे, सर्वयोने, सर्वत्रिखण्डे,
त्रैलोक्यमोहन चक्रस्वामिनि,
प्रकटयोगिनि,
कामाकर्षिणि, बुद्ध्याकर्षिणि,
अहंकाराकर्षिणि, शब्दाकर्षिणि,
स्पर्शाकर्षिणि, रूपाकर्षिणि,
रसाकर्षिणि, गन्धाकर्षिणि,
चित्ताकर्षिणि, धैर्याकर्षिणि,
स्मृत्याकर्षिणि, नामाकर्षिणि,
बीजाकर्षिणि, आत्माकर्षिणि,
अमृताकर्षिणि, शरीराकर्षिणि,
सर्वाशापरिपूरकचक्रस्वामिनि,
गुप्तयोगिनि,
अनङ्गकुसुमे, अनङ्गमेखले,
अनङ्गमदने, अनङ्गमदनातुरे,
अनङ्गरेखे, अनङ्गवेगिनि,
अनङ्गाङ्कुशे, अनङ्गमालिनि,
सर्वसङ्क्षोभणचक्रस्वामिनि,
गुप्ततरयोगिनि,
सर्वसङ्क्षोभिणि, सर्वविद्राविनि,
सर्वाकर्षिणि, सर्वह्लादिनि,
सर्वसम्मोहिनि, सर्वस्तम्भिनि,
सर्वजृम्भिणि, सर्ववशङ्करि,
सर्वरञ्जनि, सर्वोन्मादिनि,
सर्वार्थसाधिके,
सर्वसम्पत्तिपूरिणि, सर्वमन्त्रमयि,
सर्वद्वन्द्वक्षयङ्करि,
सर्वसौभाग्यदायकचक्रस्वामिनि,
सम्प्रदाययोगिनि,
सर्वसिद्धिप्रदे, सर्वसम्पत्प्रदे,
सर्वप्रियङ्करि,
सर्वमङ्गलकारिणि, सर्वकामप्रदे,
सर्वदुःखविमोचनि,
सर्वमृत्युप्रशमनि,
सर्वविघ्ननिवारिणि,
सर्वाङ्गसुन्दरि,
सर्वसौभाग्यदायिनि,
सर्वार्थसाधकचक्रस्वामिनि,
कुलोत्तीर्णयोगिनि,
सर्वज्ञे, सर्वशक्ते,
सर्वैश्वर्यप्रदायिनि,
सर्वज्ञानमयि,
सर्वव्याधिविनाशिनि,
सर्वाधारस्वरूपे, सर्वपापहरे,
सर्वानन्दमयी,
सर्वरक्षास्वरूपिणि,
सर्वेप्सितफलप्रदे,
सर्वरक्षाकरचक्रस्वामिनि,
निगर्भयोगिनि,
वशिनि, कामेश्वरि, मोदिनि,
विमले, अरुणे, जयिनि,
सर्वेश्वरि, कौलिनि,
सर्वरोगहरचक्रस्वामिनि,
रहस्ययोगिनि,
बाणिनि, चापिनि, पाशिनि,
अङ्कुशिनि, महाकामेश्वरि,
महावज्रेश्वरि, महाभगमालिनि,
सर्वसिद्धिप्रदचक्रस्वामिनि,
अतिरहस्ययोगिनि,
श्री श्रीमहाभट्टारिके,
सर्वानन्दमयचक्रस्वामिनि,
परापरातिरहस्ययोगिनि,
त्रिपुरे, त्रिपुरेशि,
त्रिपुरसुन्दरि, त्रिपुरवासिनि,
त्रिपुराश्रीः, त्रिपुरमालिनि,
त्रिपुरासिद्धे, त्रिपुराम्ब,
महात्रिपुरसुन्दरि,
महामहेश्वरि, महामहाराज्ञि,
महामहाशक्ते, महामहागुप्ते,
महामहाज्ञप्ते, महामहानन्दे,
महामहास्कन्धे, महामहाशये,
महामहा श्रीचक्रनगरसाम्राज्ञि,
नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमः ।
भजन श्रेणी : माता रानी भजन (Mata Rani Bhajan)
Sri Devi Khadgamala Stotram With Lyrics | देवी खड्गमाला स्तोत्रम | Most Powerful Stotram
दुर्गा माता की कुछ प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं-
Lyrics : Annamacharya
Artist : Rajalakshmee Sanjay
Music - Sanjay-Rajee
- शक्ति: देवी दुर्गा शक्ति की देवी हैं। उन्हें सभी देवताओं की शक्तियों से उत्पन्न हुई माना जाता है। देवी दुर्गा साहस की देवी हैं। उन्होंने महिषासुर जैसे शक्तिशाली राक्षस का वध किया था। देवी दुर्गा रक्षा की देवी हैं। वे अपने भक्तों की रक्षा करती हैं। देवी दुर्गा मातृत्व की देवी हैं। उन्हें सभी प्राणियों की माता माना जाता है।
Lyrics : Annamacharya
Artist : Rajalakshmee Sanjay
Music - Sanjay-Rajee
यह स्तोत्र आदि पराशक्ति देवी त्रिपुरसुन्दरी को समर्पित है, जो सौंदर्य, संप्रभुता और शक्ति की चरम अभिव्यक्ति हैं। यह मंत्र न केवल देवी के विभिन्न दिव्य रूपों (कामेश्वरि, दुर्गा, काली, नित्यक्लिन्ने) का आह्वान करता है, बल्कि उनकी नौ आवरणों या चक्रों (त्रैलोक्यमोहन, सर्वाशापरिपूरक आदि) में स्थित शक्तियों (अणिमासिद्धे, ब्राह्मी, वशिनी आदि) को भी नमस्कार करता है, जो श्रीचक्र के नौ स्तरों का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह पाठ देवी को गुरु परंपरा (मित्रेशमयि, लोपामुद्रामयि, अगस्त्यमयि) से जोड़ता है और उन्हें परमेश्वरी, महारानी, और महाशक्ति के रूप में प्रतिष्ठित करता है, जो सभी प्रकार की सिद्धियाँ, सौभाग्य और आनंद प्रदान करती हैं। अंत में, यह स्तोत्र देवी को श्रीचक्रनगरसाम्राज्ञी (श्रीचक्र नगर की सम्राज्ञी) के रूप में तीन बार नमन करता है, जो यह दर्शाता है कि वे संपूर्ण ब्रह्मांड की शासिका और परम आनंद का स्वरूप हैं।
पसंदीदा गायकों के भजन खोजने के लिए यहाँ क्लिक करें।
|
Author - Saroj Jangir
इस ब्लॉग पर आप पायेंगे मधुर और सुन्दर भजनों का संग्रह । इस ब्लॉग का उद्देश्य आपको सुन्दर भजनों के बोल उपलब्ध करवाना है। आप इस ब्लॉग पर अपने पसंद के गायक और भजन केटेगरी के भजन खोज सकते हैं....अधिक पढ़ें। |
