हे मातृभूमि हमको वर दो

हे मातृभूमि हमको वर दो

हे मातृभूमि हमको वर दो,
पढ़ लिखकर हम गुणज्ञान सीखें,
बोले ना बुरा, देखे ना बुरा,
कुछ भी बुरा न सुनना सीखे।

हम खेल-खेल पढ़ते जाएं,
पढ़ लिखकर नित बढ़ते जाएं,
हम रुके नहीं ,हम चुके नहीं,
गिरी शिखरों पर चढ़ते जाएं,
विघ्नों से कभी ना घबराएं,
सतपंथ पर हम चलना सीखें।

बाधाओं पर बाधा आ‌ऍ,
बाधाओं का रुख मोड़ हम
क्यों बने फकीर लकीरों के,
मंजिल पाने को दौड़े हम,
जोश ना हो हमारा कम,
धैर्य को हम धरना सीखें।

अपनापन सबमें देखे हम,
मन से द्वेष मिटाए हम,
पर सुख को अपना सुख माने,
पर दुख में हाथ बटाए हम,
जग की सुंदर बगिया से हम
सारे सारे सुमन चुनना सीखें।

हे मातृभूमि हमको वर दो,
पढ़ लिखकर हम गुणज्ञान सीखें,
बोले ना बुरा, देखे ना बुरा,
कुछ भी बुरा न सुनना सीखें।
हे मातृभूमि! हमको वर दो, पढ-लिखकर हम गुनना सीखें |
बोले न बुरा, देखे न बुरा, कुछ भी बुरा न सुनना सीखे ||
हम खेल-खेल पढ़ते जाएँ, पढ़-लिखकर नित बढ़ते जाएँ |
हम रुके नही, हम झुके नही, गिरी शिखिरो पर चढ़ते जाएँ ||
विघ्नों से कभी न घबराएँ, सतपंथ को कभी न छोड़े हम |
बाधाओं पर बाधा आएँ, बाधाओं का रुख मोड़े हम ||
क्यों बने फ़क़ीर लकीरो के, नित नए सपने बुनना सीखें |
हे मातृभूमि! हम को वर दो, पढ़-लिखकर हम गुनना सीखें



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