जब पहुंचे हनुमत लंका

जब पहुंचे हनुमत लंका

जब पँहुचे हनुमत लंका,
बजा राम नाम का डंका,
सारे राक्षश घबराये,
माथा रावण का ठनका,
मैंने चादवन्द चौदस फेरा लगवाया है,
फिर कैसे अंदर ये बन्दर घुस आया है।

तहस नहस कर डाला,
इसने लंका नगरी,
कहा सो रहे थे सब,
दरबार के खबरी
ले लांग के कैसे समुन्दर,
पँहुचा लंका के अंदर,
साधारण ये नहीं लगता,
ये है कोई अद्भुत बन्दर,
मैंने चादवन्द चौदस फेरा लगवाया है,
फिर कैसे अंदर ये बन्दर घुस आया है।

आ तो गया यह अब जाने ना पाए,
मजा यह आने का पता इसको चल जाए,
इसे दंड कठोर मिलेगा
सुन धरती अगन हिलेगा,
जितना देखूंगा इसको,
गुस्सा बाहर निकलेगा,
मैंने चादवन्द चौदस फेरा लगवाया है,
फिर कैसे अंदर ये बन्दर घुस आया है।

भेद अकेले बजरंग ने कुंदन ललकारा,
जो भी सामने आया उसे पटक पटक मारा,
सारे राक्षश डर भागे,
कोई टिका न इसके आगे,
दोनों हाथ जोड़ हनुमत से,
जीवन की भीख ये मांगे,
मैंने चादवन्द चौदस फेरा लगवाया है,
फिर कैसे अंदर ये बन्दर घुस आया है।

जब पहुंचे हनुमत लंका,
बजा राम नाम का डंका,
सारे राक्षश घबराये,
माथा रावण का ठनका,
मैंने चादवन्द चौदस फेरा लगवाया है,
फिर कैसे अंदर ये बन्दर घुस आया है।



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