कोई हो अपना जिससे दिल की बात कहूंगा

कोई हो अपना जिससे दिल की बात कहूंगा

कोसो दूर से में आया हूँ
अरज मेरी तू सुन लेना
जख्म मेरे क्यों भरते नही है
थोड़ी दया तू कर देना।

तुम्हारे बिन मेरा कोई नही यहाँ
किसके सहारे अब मैं जिऊगा
कोई हो अपना जिससे दिल की बात कहूंगा
ओ मेरे राम प्रभु।

झूठ कहाँ था तूने मुझे
लेकिन ना था ये मुझको पता
अम्बर से बरसा जो पानी
वो धरती तक न पहुंचा
ये शीश तेरे सामने अब कैसे
मैं झुकाऊ तू ही बता
ओ मेरे राम प्रभु।

पंछी होता तो किसी भी
डाल पे जा बैठ जाता
अपने दुखों के कारण मैं ना
बोझ किसी का बन पाता
लेकिन बनाया इंसा तूने
कर्म की भट्टी में जलना था
ओ मेरे राम प्रभु।

सूरज की किरणों को पूछ के आया तेर द्वार मैं
सुखी रोटी जो बाँधी वो अंत के है कतार में
जीवन के ये माया मैं फूंक चूका है अंगार में
तुम्हारे बिन मेरा कोई नही है यहाँ
किसके सहारे अब मैं जिऊगा
कोई हो अपना जिससे दिल की बात कहूंगा
ओ मेरे राम प्रभु।



ऐसे ही अन्य मधुर भजन देखें

पसंदीदा गायकों के भजन खोजने के लिए यहाँ क्लिक करें।

अपने पसंद का भजन खोजे

Next Post Previous Post