पहाड़ उठा के चल पड्या वो माँ अंजनी

पहाड़ उठा के चल पड्या वो माँ अंजनी का लाला

जगमग हो रही हिमालय पे,
फ़ैल रहा था उजियारा,
पहाड़ उठा के चल पड्या,
वो माँ अंजनी का लाला।

पवन वेग से चाले पड़े वो,
था मन में विश्वाश,
अवधपुरी में पहरा दे रहे,
दसरथ नन्दन खास,
असुर समझ के भरत लाल ने,
छोड्या तीर बिना फर वाला,
पहाड़ उठा के चल पड्या,
वो माँ अंजनी का लाला।

राम समझ के अंजनी सुत ने,
झट के किया प्रणाम,
कौन कहा से आया भाई,
तू कैसे जाने राम,
सारी बात समझ गये हनुमत,
सारा दियां हवाला,
पहाड़ उठा के चल पड्या,
वो माँ अंजनी का लाला।

होश हवास समझ कर,
हनुमत फिर से भरी उड़ान,
श्री राम का काज कर,
मेरे बेशक जाए प्राण,
राम चरण में अर्पण कर दु,
जीवन अपना मत वाला,
पहाड़ उठा के चल पड्या,
वो माँ अंजनी का लाला।

पूर्व दिशा में लाली देखि,
श्री राम घबराये,
सब के चेहरे खिल उठे,
जब बजरंगी बूंटी ले आये,
पवन सूत गुण गान करे,
तेरा सुरेश कुमार ननिया वाला,
पहाड़ उठा के चल पड्या,
वो माँ अंजनी का लाला।

जगमग हो रहीहिमालय पे,
फ़ैल रहा था उजियारा,
पहाड़ उठा के चल पड्या,
वो माँ अंजनी का लाला।

भजन श्रेणी : हनुमान भजन (Hanuman Bhajan)


पहाड़ उठा के चल पड्या वो माँ अंजनी का लाला

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