मैं तो थक गई रे भोले घोट के भांग तुम्हारी भजन
मैं तो थक गई रे भोले,
घोट के भांग तुम्हारी,
मैं तो थक गई रे भोले,
घोट के भांग तुम्हारी।
हरी हरी पाती तोड़ के लाऊं,
घोट घोट तेरी भांग बनाऊ,
ऊंगलिया घिस गई रे,
भोले घोट के भांग तुम्हारी,
मैं तो थक गई रे भोले,
घोट के भांग तुम्हारी।
जंगल झाड़ घूम लिये सारे,
सिलबट्टा भी घिस गये हमारे,
टोकरी भर लई रे भोले,
घोट के भांग तुम्हारी,
मैं तो थक गई रे भोले,
घोट के भांग तुम्हारी।
पीके भांग पड़ा रहवे तू,
मेरी सुध बुध भूल गया तू,
फिक्र में रोय रही रे भोले,
घोट के भांग तुम्हारी,
मैं तो थक गई रे भोले,
घोट के भांग तुम्हारी।
बिच्छू लिपट रहे तेरे तन में,
कालो नाग लटक रहे गले में,
मैं तो डर गई रे भोले,
देख के नाग तुम्हारे,
मैं तो थक गई रे भोले,
घोट के भांग तुम्हारी।
मैं तो थक गई रे भोले,
घोट के भांग तुम्हारी,
मैं तो थक गई रे भोले,
घोट के भांग तुम्हारी।
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