जगत सेठाणी म्हारी दादी माँ कुहावे भजन

जगत सेठाणी म्हारी दादी माँ कुहावे भजन

मुखड़ा:

जगत सेठाणी म्हारी,
दादी माँ कुहावे,
मोटी ये सेठाणी म्हारी,
नारायणी कुहावे,
जो भी मंगल करावे,
जो भी चुनड़ी चढ़ाए,
मालामाल करसी,
झोली भरसी,
जगत सेठाणी म्हारी,
दादी माँ कुहावे।।
अंतरा 1:

झुँझुन वाली मावड़ी को,
जो भी लाड़ लड़ावेगो,
सुख, संपत्ति, धन, वैभव यश,
वो जीवन भर पावेगो,
मंगल करणी मंगल करसी,
मंगल करणी मंगल करसी,
घर में धन ना समावेगो,
दादी की कृपा,
उन पे बरसती,
जो भी मंगल करावे,
जो भी चुनड़ी चढ़ाए,
मालामाल करसी,
झोली भरसी,
जगत सेठाणी म्हारी,
दादी माँ कुहावे।।
अंतरा 2:

नारायणी की छवि,
है अति प्यारी,
ममता नैनों से छलक रही,
जितना निहारूँ,
मुखड़ो यो प्यारो,
प्यास नैना की नाही बुझ रही,
प्यास बुझा दो, दर्शन करा दो,
प्यास बुझा दो, दर्शन करा दो,
‘रेणु बबीता’ बलिहार जाए,
थारी ही सेवा में,
सारी उमर गुजारूं,
जो भी मंगल करावे,
जो भी चुनड़ी चढ़ाए,
मालामाल करसी,
झोली भरसी,
जगत सेठाणी म्हारी,
दादी माँ कुहावे।।
 


जगत सेठाणी MHARI DADI माँ कुहावै BY - बबीता विश्वास
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