नीवन बड़ी संसार में, नहीं निवे सो निस। निवे नदी रो रूखड़ो, रेवे नदी रे बीसो बीस। निवे आम्बा, आम्बली, निवे दाड़म डाल। अरिंड बिसारा क्या निवे, ज्यारी ओसी कहिजे आस।।
मूल कमल में चार चौकी, गणपत आसान धरिया। आसान धर अखंड होय बैठा, जप-जम्पा धरिया ओ।।
साधु भाई बिना भजन, कुण तरिया? आधु-आधु पंथ, निवन पथ मोटो,
साधु संगत वाली करिया, विना भजन, कुण तिरिया।।
पहली रे नीवन मारी, मात-पिता ने, उत्पति-पालन करिया। बीजी रे नीवन मारी, धरती माता नी, जिन पर पगला धरिया ओ।।
साधु भाई बिना भजन, कुण तरिया? आधु-आधु पंथ, निवन पथ मोटो, साधु संगत वाली करिया, विना भजन, कुण तिरिया।।
तीजी रे नीवन मारा, गुरुजी नी, सर पर हतपन धरिया। चौथी नीवन मारी, सतरी संगत नी, जिन में जाए सुधरिया।।
Rajasthani Bhajan Lyrics Hindi
साधु भाई बिना भजन, कुण तरिया? आधु-आधु पंथ, निवन पथ मोटो, साधु संगत वाली करिया, विना भजन, कुण तिरिया।।
नीवन करु मारा, सूर्यदेव नी, सकल उजाला करिया। घणो रे नीवन मारा, अन रे देव नी, जिन सु ओदर भरिया ओ।।
साधु भाई बिना भजन, कुण तरिया? आधु-आधु पंथ, निवन पथ मोटो, साधु संगत वाली करिया, विना भजन, कुण तिरिया।।
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