पार्वती के जीवन मे, पड़े भोलेनाथ के पांव विचित्र हुये है देखो, पार्वती के मन के भाव।
तुम भोले शंकर किधर से आये, आते ही गौरा के मन मे समाये, तुम भोले शंकर किधर से आये, आते ही गौरा के मन मे समाये, तुम्हे जब निहारे मन संभल ना पाये, तुम्हे जब निहारे मन संभल ना पाये, तुम तीनों लोक के स्वामी, सुन ले अबकी इक वारी अरज हमारी, के नाता जन्मों का तुमसे, मन ही मन ये सोच लिया, के नाता जन्मों का तुमसे, मन ही मन ये सोच लिया।
प्रेम हुआ मुझे सखी समझाये, पानी ना भोजन अब मोहे भाये, प्रेम हुआ मुझे सखी समझाये, पानी ना भोजन अब मोहे भाये, करू क्या हाथो से मन निकला जाये, करू क्या हाथो से मन निकला जाये, तुम तीनों लोक के स्वामी, सुन ले अबकी इक वारी अरज हमारी, के नाता जन्मों का तुमसे, मन ही मन ये सोच लिया, के नाता जन्मों का तुमसे, मन ही मन ये सोच लिया।
पार्वती के जीवन मे, पड़े भोलेनाथ के पांव विचित्र हुये है देखो, पार्वती के मन के भाव।
पार्वती के जीवन मे, पड़े भोलेनाथ के पांव विचित्र हुये है देखो, पार्वती के मन के भाव।
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