कावड़ उठा ने को शिव के द्वार चल लिरिक्स Kawad Uthane Ko Shiv Dwar Lyrics

कावड़ उठा ने को शिव के द्वार चल लिरिक्स Kawad Uthane Ko Shiv Dwar Lyrics, Kawad Uthane Ko Shiv Ke Dwar Chal

 
कावड़ उठा ने को शिव के द्वार चल लिरिक्स Kawad Uthane Ko Shiv Dwar Lyrics

कावड़ उठा ने को,शिव के द्वार चल,
हरिद्वार भोले,
चल हरिद्वार,
कावड़ उठा ने को,
शिव के द्वार चल,
हरिद्वार भोले,
चल हरिद्वार।

शिव के दीवानों का रेला,
चला गंगा के तट पे,
है मेला लगा,
कावड़ियों की,
हरिद्वार में,
आई है बहार,
चल हरिद्वार भोले,
चल हरिद्वार,
कावड़ उठा ने को,
शिव के द्वार चल,
हरिद्वार भोले,
चल हरिद्वार।

भोले ही भोले दिखे,
चारो तरफ,
बम भोले का शोर,
कर देंगे शम्भू,
तेरा बेडा पार,
चल हरिद्वार भोले,
चल हरिद्वार,
कावड़ उठा ने को,
शिव के द्वार चल,
हरिद्वार भोले,
चल हरिद्वार।

सावन महीना है,
शिव को मना,
गंगा जल बरसन दे,
कावड़ उठा,
शर्मा तू अर्जी लगा,
एक बार चल हरिद्वार,
भोले चल हरिद्वार,
कावड़ उठा ने को,
शिव के द्वार चल,
हरिद्वार भोले,
चल हरिद्वार।
कावड़ उठा ने को,
शिव के द्वार चल,
हरिद्वार भोले,
चल हरिद्वार,
कावड़ उठा ने को,
शिव के द्वार चल,
हरिद्वार भोले,
चल हरिद्वार।

कावड़ यात्रा, जिसे कावड़ मेला या कांवर यात्रा के रूप में भी जाना जाता है, साल में एक बार आने वाली एक शिव भक्तों की तीर्थयात्रा है जो उत्तरी भारतीय राज्यों उत्तर प्रदेश, हरियाणा और उत्तराखंड में अधिकता से की जाती है। इस तीर्थयात्रा के दौरान, भगवान शिव के भक्त जिन्हे कावड़िया कहा जाता है, जल लेने के लिए गंगा नदी के तट पर जाते हैं और इसे भगवान शिव को चढ़ाने के लिए अपने स्थानीय मंदिर में वापस लाते हैं। यात्रा में कई दिन लगते हैं और इसे तपस्या और आध्यात्मिक अनुशासन का आदर्श माना जाता है। कांवरिया अपनी यात्रा के दौरान भक्ति गीत गाते हैं, प्रार्थना करते हैं, डीजे बजाते हैं और भगवान शिव की पूजा करते, सुमिरण करते हुए पैदल चलते जाते हैं।

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