सूरज जब पलकें खोले मन नमः शिवाये बोले

सूरज जब पलकें खोले मन नमः शिवाये बोले

सूरज जब पलकें खोले,
सूरज जब पलकें खोले,
मन नमः शिवाये बोले,
मैं दुनिया से क्यों डरूं,
मेरे रक्षक है भोले,
ॐ नमः शिवाय बोलो,
ॐ नमः शिवाय।

गंगा धरण वो भव भये व्यंजन,
माटी छुये तो हो जाये चन्दन,
बिल्व की पतियों पर वो रिझे,
पल में दुखी को देख पसीजे,
शुद्ध चित वालों को झूलता,
आनद मये हिंडोले,
सूरज जब पलकें खोले,
मन नामय शिवाये बोले।

मिल ता उन्ही से धन वैभव,
करते असंभव को वो संभव,
जग में कोई हस्ता रोता,
शिव की ईशा से सब होता,
जिसे देखनी हो शिव लीला,
शिव का दीवाना हो ले,
सूरज जब पलकें खोले,
मन नमः शिवाये बोले।

शम्भू का वचपन गाते जिनका,
बाल भी बांका होये न उनका,
चाहे कष्टों की चले नित आंधी,
आँच कभी न उन पर आती,
शिव उनकी हर विपदा हरते,
कभी शिगर कभी ओले,
सूरज जब पलकें खोले,
मन नामय शिवाये बोले।
सूरज जब पलकें खोले,
सूरज जब पलकें खोले,
मन नमः शिवाये बोले,
मैं दुनिया से क्यों डरूं,
मेरे रक्षक है भोले,
ॐ नमः शिवाय बोलो,
ॐ नमः शिवाय।


@Shivapath सूरज जब पलकें खोले मन में शिव बाबा गूंजे

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