तुम ना सुनोगी तो कौन सुनेगा भजन
तुम ना सुनोगी तो कौन सुनेगा माता भजन
(मुखड़ा)
तुम ना सुनोगी तो कौन सुनेगा,
साथी हमारा कौन बनेगा।
तुम ना सुनोगी तो कौन सुनेगा,
आज मेरी फरियाद तू सुन ले,
तेरे सिवा माँ कौन है मेरा,
साथी हमारा कौन बनेगा।
तुम ना सुनोगी तो कौन सुनेगा।
(अंतरा)
सुना है हमने सभी से,
खेवैया एक ही है।
घूम ली सारी दुनिया,
ये मैया एक ही है।
अबकी पार लगाओ नैय्या,
मानूँगा एहसान,
मानूँगा एहसान।
हमको किनारा कैसे मिलेगा,
तुम ना सुनोगी तो कौन सुनेगा।
वो तेरे भक्त होंगे,
जिन्हें तुमने है तारा।
बता ऐ कटरा वाली,
कौन सा तीर मारा।
भक्त तुम्हारी भक्ति करते,
लेते रहते नाम,
लेते रहते नाम।
उनका काम तो करना पड़ेगा,
तुम ना सुनोगी तो कौन सुनेगा।
आ गया दर पर तेरे,
सुनवाई हो जाए।
जिंदगी से दुखों की,
विदाई हो जाए।
एक नजर कृपा की डालो,
मानूँगा एहसान,
मानूँगा एहसान।
संकट हमारा कैसे कटेगा,
तुम ना सुनोगी तो कौन सुनेगा।
है पानी सर के ऊपर,
मुसीबत अड़ गई है।
हे मैया आज तुम्हारी,
जरूरत पड़ गई है।
अपने हाथ से हाथ पकड़ ले,
मानूँगा एहसान,
मानूँगा एहसान।
साथ हमारे कौन चलेगा,
तुम ना सुनोगी तो कौन सुनेगा।
(अंतिम पुनरावृत्ति)
साथी हमारा कौन बनेगा,
तुम ना सुनोगी तो कौन सुनेगा।
आज मेरी फरियाद तू सुन ले,
तेरे सिवा माँ कौन है मेरा,
साथी हमारा कौन बनेगा।
तुम ना सुनोगी तो कौन सुनेगा।
तुम ना सुनोगी तो कौन सुनेगा,
साथी हमारा कौन बनेगा।
तुम ना सुनोगी तो कौन सुनेगा,
आज मेरी फरियाद तू सुन ले,
तेरे सिवा माँ कौन है मेरा,
साथी हमारा कौन बनेगा।
तुम ना सुनोगी तो कौन सुनेगा।
(अंतरा)
सुना है हमने सभी से,
खेवैया एक ही है।
घूम ली सारी दुनिया,
ये मैया एक ही है।
अबकी पार लगाओ नैय्या,
मानूँगा एहसान,
मानूँगा एहसान।
हमको किनारा कैसे मिलेगा,
तुम ना सुनोगी तो कौन सुनेगा।
वो तेरे भक्त होंगे,
जिन्हें तुमने है तारा।
बता ऐ कटरा वाली,
कौन सा तीर मारा।
भक्त तुम्हारी भक्ति करते,
लेते रहते नाम,
लेते रहते नाम।
उनका काम तो करना पड़ेगा,
तुम ना सुनोगी तो कौन सुनेगा।
आ गया दर पर तेरे,
सुनवाई हो जाए।
जिंदगी से दुखों की,
विदाई हो जाए।
एक नजर कृपा की डालो,
मानूँगा एहसान,
मानूँगा एहसान।
संकट हमारा कैसे कटेगा,
तुम ना सुनोगी तो कौन सुनेगा।
है पानी सर के ऊपर,
मुसीबत अड़ गई है।
हे मैया आज तुम्हारी,
जरूरत पड़ गई है।
अपने हाथ से हाथ पकड़ ले,
मानूँगा एहसान,
मानूँगा एहसान।
साथ हमारे कौन चलेगा,
तुम ना सुनोगी तो कौन सुनेगा।
(अंतिम पुनरावृत्ति)
साथी हमारा कौन बनेगा,
तुम ना सुनोगी तो कौन सुनेगा।
आज मेरी फरियाद तू सुन ले,
तेरे सिवा माँ कौन है मेरा,
साथी हमारा कौन बनेगा।
तुम ना सुनोगी तो कौन सुनेगा।
माँ तुम न सुनोगी तो कौन सुनेगा. Maa Tum Na Sunogi To Kaun Sunega by VISHAL JOSHI
माँ के प्रति पूर्ण समर्पण है, जिसमें भक्त अपनी परेशानियों को माँ के चरणों में रखकर उनसे सहायता की गुहार लगाता है। वह माँ को एकमात्र सहारा मानता है और उनकी कृपा से अपने जीवन के संकटों को दूर करने की प्रार्थना करता है। अंत में, माँ से अपने साथ रहने और संकट में हाथ थामने की विनती करता है।