दर्शन करुँगी मैया जम्मू में आए के भजन
दर्शन करुँगी मैया जम्मू में आए के भजन
(मुखड़ा)
दर्शन करूँगी मैया जम्मू में आए के,
दर्शन करूँगी मैया जम्मू में आए के,
अंगना में आऊँ बाणगंगा में नहाय के,
दर्शन करूँगी मैया जम्मू में आए के।।
(अंतरा)
झिलमिल सितारों की मैं चुनरी उड़ाऊँगी,
लाल लाल चूड़ी मैया हाथों में पहनाऊँगी,
मुखड़ा निहारूँगी मैं बिंदिया लगाय के,
मुखड़ा निहारूँगी मैं बिंदिया लगाय के,
अंगना में आऊँ बाणगंगा में नहाय के,
दर्शन करूँगी मैया जम्मू में आए के।।
फूलों की माला मैया गले पहनाऊँगी,
सोने की नथनी तोहे नाक में पहनाऊँगी,
मुखड़ा निहारूँगी मैं कजरा लगाय के,
मुखड़ा निहारूँगी मैं कजरा लगाय के,
अंगना में आऊँ बाणगंगा में नहाय के,
दर्शन करूँगी मैया जम्मू में आए के।।
चरणों में मैया मैं तो फूलों को बिछाऊँगी,
चरणों को धोकर मैया चरणामृत पाऊँगी,
मुखड़ा निहारूँगी मैं पलकें उठाय के,
मुखड़ा निहारूँगी मैं पलकें उठाय के,
अंगना में आऊँ बाणगंगा में नहाय के,
दर्शन करूँगी मैया जम्मू में आए के।।
घी और कपूर की मैं ज्योति जलाऊँगी,
भक्तों के संग मिलके आरती गाऊँगी,
मुखड़ा निहारूँगी मैं आरती सजाय के,
मुखड़ा निहारूँगी मैं आरती सजाय के,
अंगना में आऊँ बाणगंगा में नहाय के,
दर्शन करूँगी मैया जम्मू में आए के।।
(पुनरावृत्ति)
दर्शन करूँगी मैया जम्मू में आए के,
दर्शन करूँगी मैया जम्मू में आए के,
अंगना में आऊँ बाणगंगा में नहाय के,
दर्शन करूँगी मैया जम्मू में आए के।।
दर्शन करूँगी मैया जम्मू में आए के,
दर्शन करूँगी मैया जम्मू में आए के,
अंगना में आऊँ बाणगंगा में नहाय के,
दर्शन करूँगी मैया जम्मू में आए के।।
(अंतरा)
झिलमिल सितारों की मैं चुनरी उड़ाऊँगी,
लाल लाल चूड़ी मैया हाथों में पहनाऊँगी,
मुखड़ा निहारूँगी मैं बिंदिया लगाय के,
मुखड़ा निहारूँगी मैं बिंदिया लगाय के,
अंगना में आऊँ बाणगंगा में नहाय के,
दर्शन करूँगी मैया जम्मू में आए के।।
फूलों की माला मैया गले पहनाऊँगी,
सोने की नथनी तोहे नाक में पहनाऊँगी,
मुखड़ा निहारूँगी मैं कजरा लगाय के,
मुखड़ा निहारूँगी मैं कजरा लगाय के,
अंगना में आऊँ बाणगंगा में नहाय के,
दर्शन करूँगी मैया जम्मू में आए के।।
चरणों में मैया मैं तो फूलों को बिछाऊँगी,
चरणों को धोकर मैया चरणामृत पाऊँगी,
मुखड़ा निहारूँगी मैं पलकें उठाय के,
मुखड़ा निहारूँगी मैं पलकें उठाय के,
अंगना में आऊँ बाणगंगा में नहाय के,
दर्शन करूँगी मैया जम्मू में आए के।।
घी और कपूर की मैं ज्योति जलाऊँगी,
भक्तों के संग मिलके आरती गाऊँगी,
मुखड़ा निहारूँगी मैं आरती सजाय के,
मुखड़ा निहारूँगी मैं आरती सजाय के,
अंगना में आऊँ बाणगंगा में नहाय के,
दर्शन करूँगी मैया जम्मू में आए के।।
(पुनरावृत्ति)
दर्शन करूँगी मैया जम्मू में आए के,
दर्शन करूँगी मैया जम्मू में आए के,
अंगना में आऊँ बाणगंगा में नहाय के,
दर्शन करूँगी मैया जम्मू में आए के।।
Darshan Karungi Maiya | दर्शन करुँगी मैया | Jai Kalka Maa | Lajwanti Pathak | Hindi Mata Bhajan
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Singer - Lajwanti Pathak ( Pragya Bharti )
Album - Jai Kalka Maa
Music - Devender Dev
Lyrics - Ramesh Kaithwas
Label - Chanda Cassettes
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Music - Devender Dev
Lyrics - Ramesh Kaithwas
Label - Chanda Cassettes
माँ की भक्ति में डूबा भक्त उनके सौंदर्य और कृपा का ऐसा चित्रण करता है, जो उनके लाल नैनों और मुकुट के सितारों को सारे संसार से बढ़कर मानता है। माँ का प्रत्येक श्रृंगार—चमचमाता टीका, झुमका, चोला, चुनरी, नथनी, कंगना, मेहंदी, पायल और बिछुए—न केवल उनके दिव्य रूप को और निखारता है, बल्कि भक्त के जीवन में आलोक और सवेरा लाता है। यह भक्ति का वह स्वरूप है, जो माँ की शक्ति को अपार और उनके प्रेम को विश्वव्यापी दर्शाता है, जहाँ भक्त अपने सारे सांसारिक दुखों को भूलकर माँ के चरणों में शरण पाता है। वह माँ से प्रार्थना करता है कि उनकी कृपा उसके जीवन को भक्ति की अलख से जगमगाए और उसका बेड़ा पार करे, यह विश्वास रखते हुए कि माँ का साथ ही उसके लिए सबसे बड़ा आशीर्वाद है।
माँ का यह दरबार, जहाँ भक्त सोलह श्रृंगार लेकर उनकी आराधना करता है, केवल एक पूजा स्थल नहीं, बल्कि उस आत्मिक जुड़ाव का प्रतीक है, जो भक्त को माँ के प्रेम में एकाकार कर देता है। माँ की कृपा ऐसी है कि वह भक्त के हृदय में सदा के लिए बस जाती है, और उनकी ज्योति उसके जीवन को हर अंधेरे से मुक्त करती है। भक्त का यह समर्पण माँ की महिमा को और भी बढ़ाता है, जो सारे संसार में उनकी पूजा का कारण बनती है। यह भक्ति का वह उत्सव है, जो माँ के प्यारे नैनों और उनके मुकुट के सितारों को भक्त के लिए अनमोल बनाता है, और उसे यह अहसास कराता है कि माँ की कृपा ही उसके जीवन का सच्चा सवेरा है।
माँ का यह दरबार, जहाँ भक्त सोलह श्रृंगार लेकर उनकी आराधना करता है, केवल एक पूजा स्थल नहीं, बल्कि उस आत्मिक जुड़ाव का प्रतीक है, जो भक्त को माँ के प्रेम में एकाकार कर देता है। माँ की कृपा ऐसी है कि वह भक्त के हृदय में सदा के लिए बस जाती है, और उनकी ज्योति उसके जीवन को हर अंधेरे से मुक्त करती है। भक्त का यह समर्पण माँ की महिमा को और भी बढ़ाता है, जो सारे संसार में उनकी पूजा का कारण बनती है। यह भक्ति का वह उत्सव है, जो माँ के प्यारे नैनों और उनके मुकुट के सितारों को भक्त के लिए अनमोल बनाता है, और उसे यह अहसास कराता है कि माँ की कृपा ही उसके जीवन का सच्चा सवेरा है।
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Author - Saroj Jangir
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