बरत बड़ो है एकादशी को लिरिक्स Barat Bado Hai Ekadashi Ko Lyrics

बरत बड़ो है एकादशी को लिरिक्स Barat Bado Hai Ekadashi Ko Lyrics

बरत बड़ो है एकादशी को,
बरत बड़ो है एकादशी को,
हरि के नाम बिना मुक्ति नहीं,
बरत बड़ो है एकादशी को।

जल में नाहवे जल में धोवे,
जल में कुल्ला जो करतो,
या करनी से बन्यो रे मींडको,
टरड टरड करतो फिरतो,
बरत बड़ो है एकादशी को।

नदी किनारे मुंडो धोवे,
पर नारी चित जो धरतो,
या करनी से बन्यो रे गधेड़ो,
बोझा ढोतो वो फिरतो,
बरत बड़ो है एकादशी को।

उठ सवेरे चुगली करती,
सात घरा में जो फिरती,
या करनी से बनी रे कुकरी,
घर घर टुकड़ा वा खाती,
बरत बड़ो है एकादशी को।

छुप छुप जो बाता सुनती,
ऐसी नर को कई करसी,  
या करनी से बन्यो रे छिपकली,
भीत दीवार पर वा चिपकी,
बरत बड़ो है एकादशी को।

कोड़ी कोड़ी माया जोड़ी,
जोड़ जमीन में जो धरतो,    
या करनी से बन्यो रे सपोला,
पेट रगड़ के वो चलतो,
बरत  बड़ो है एकादशी को।

ग्यारस के दिन माथो धोतो,
बाल सवारती जो फिरती,  
या करनी से बनी रे भूतनी,
बड़ पीपल में वा रहती,
बरत  बड़ो है एकादशी को।

कहत कबीर सुनो भाई साधो,
जाकी करणी वो भरतो,
चौखी करनी कर महारा मनवा,
फेर जनम तू कब पावे।
 



Watch एकदशी भजन : बरत बड़ो है एकादशी को #gyarashbhajan #ekdashibhajan Hindi bhajan songs

Latest Bhajan Lyrics
Next Post Previous Post
No Comment
Add Comment
comment url