दर दर भटक रहा हूँ तेरी दोस्ती के पीछे

दर दर भटक रहा हूँ तेरी दोस्ती के पीछे

 
दर दर भटक रहा हूँ तेरी दोस्ती के पीछे Dar Dar Bhatak Raha Lyrics, Dar Dar Bhatak Raha Hu Teri Dosti Ke Pichhe

दर दर भटक रहा हु तेरी दोस्ती के पीछे,
क्या सजा मिली है मुझको तेरी दोस्त के पीछे,
दर दर भटक रहा हूँ, तेरी दोस्ती के पीछे।

मैं गरीब हूँ तो क्या है दीनो के नाथ तुम हो,
होठो पे है उदासी तेरी रोशनी के पीछे
दर दर भटक रहा हूँ, तेरी दोस्ती के पीछे।

हे द्वारिका के वासी अखियां दरश की प्यासी,
दिखला झलक जरा सी अरे मेरी दोस्ती के पीछे,
दर दर भटक रहा हूँ, तेरी दोस्ती के पीछे।

बचपन का यार तेरा आया तेरी गली में,
दर दर भटक के आया तेरी दोस्ती के पीछे,
दर दर भटक रहा हूँ, तेरी दोस्ती के पीछे।

तुम हो पतित पावन अधमो का मैं हूँ स्वामी,
अब तो दरश करा जा तेरी दोस्ती के पीछे,
दर दर भटक रहा हूँ, तेरी दोस्ती के पीछे।

दर दर भटक रहा हु तेरी दोस्ती के पीछे,
क्या सजा मिली है मुझको तेरी दोस्त के पीछे,
दर दर भटक रहा हूँ, तेरी दोस्ती के पीछे।

कृष्ण सुदामा भजन - दर दर भटक रहा हु तेरी दोस्ती के पीछे - VIKAS GAUTAM JI MAHARAJ

Song: Dar-Dar Bhatk Raha Hu Teri Dosti Ke Peeche
Singer: Vikas Gautam ji Maharaj
Music: Lovely Sharma

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