क्या सुख पायो रे राम को विसार के लिरिक्स Kya Sukh Payo Re Raam Lyrics
क्या सुख पायो रे,
राम को विसार के,
विषयों में फस के चला,
जीती बाजी हार के,
क्या सुख पायो रे,
राम को विसार के।
बचपन की आयु तूने,
खेल में गवाई रे,
आई जवानी प्यारी लागे,
घर की नारी रे,
वक्त बुढ़ापा रोया,
फिर आहे मार के,
विषयों में फस के चला,
जीती बाजी हार के,
क्या सुख पायो रे,
राम को विसार के।
सारी उम्र का स्टाम्प,
किसी ने लिखा या नहीं,
जाना है आखिर सबने,
अमर फल खाया नहीं,
जाना असल घर अपने,
आप तू सुधार रे,
विषयों में फस के चला,
जीती बाजी हार के,
क्या सुख पायो रे,
राम को विसार के।
आम मिलेंगे कहां से,
कीकर जो बोयेगा,
धर्मराज लेखा मांगे,
सिर फोड़ रोयेगा,
अब भी गुण गा ले,
प्रेम कृष्ण मुरारी के,
विषयों में फस के चला,
जीती बाजी हार के,
क्या सुख पायो रे,
राम को विसार के।
क्या सुख पायो रे,
राम को विसार के,
विषयों में फस के चला,
जीती बाजी हार के,
क्या सुख पायो रे,
राम को विसार के।
राम को विसार के,
विषयों में फस के चला,
जीती बाजी हार के,
क्या सुख पायो रे,
राम को विसार के।
बचपन की आयु तूने,
खेल में गवाई रे,
आई जवानी प्यारी लागे,
घर की नारी रे,
वक्त बुढ़ापा रोया,
फिर आहे मार के,
विषयों में फस के चला,
जीती बाजी हार के,
क्या सुख पायो रे,
राम को विसार के।
सारी उम्र का स्टाम्प,
किसी ने लिखा या नहीं,
जाना है आखिर सबने,
अमर फल खाया नहीं,
जाना असल घर अपने,
आप तू सुधार रे,
विषयों में फस के चला,
जीती बाजी हार के,
क्या सुख पायो रे,
राम को विसार के।
आम मिलेंगे कहां से,
कीकर जो बोयेगा,
धर्मराज लेखा मांगे,
सिर फोड़ रोयेगा,
अब भी गुण गा ले,
प्रेम कृष्ण मुरारी के,
विषयों में फस के चला,
जीती बाजी हार के,
क्या सुख पायो रे,
राम को विसार के।
क्या सुख पायो रे,
राम को विसार के,
विषयों में फस के चला,
जीती बाजी हार के,
क्या सुख पायो रे,
राम को विसार के।
विसियों मे फस के चला चेतावनी भजन आचार्य दयाशंकर
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