लगाया त्रिलोकपुर दरबार
लगाया त्रिलोकपुर दरबार,
मेरी मां बाला सुन्दरी ने,
मेरी मां बाला सुन्दरी ने,
मेरी मां बाला सुन्दरी ने,
लगाया त्रिलोकपुर दरबार,
मेरी मां बाला सुन्दरी ने।
रामदास पे कृपा कर,
मां त्रिलोकपुर में आई,
सपने में फिर दर्शन देके,
लीला अजब दिखाई,
बढ़ाया रामदास का मान,
मेरी मां बाला सुन्दरी ने,
लगाया त्रिलोकपुर दरबार,
मेरी मां बाला सुन्दरी ने।
बाल रूप में बाला सुन्दरी,
मैया लगती प्यारी,
सुन्दर भवन निराला माँ का,
महिमा जग से न्यारी,
कर दिया दर्शन से कल्याण,
मेरी माँ बाला सुन्दरी ने,
लगाया त्रिलोकपुर दरबार,
मेरी मां बाला सुन्दरी ने।
बाँझन को माँ पुत्र देती,
अज्ञानी को ज्ञान,
निर्धन भी दर इसके आकर,
बन जाता धनवान,
दिलाई सिंगला को पहचान,
मेरी माँ बाला सुन्दरी ने,
लगाया त्रिलोकपुर दरबार,
मेरी मां बाला सुन्दरी ने।
लगाया त्रिलोकपुर दरबार,
मेरी मां बाला सुन्दरी ने,
मेरी मां बाला सुन्दरी ने,
मेरी मां बाला सुन्दरी ने,
लगाया त्रिलोकपुर दरबार,
मेरी मां बाला सुन्दरी ने।
लगाया त्रिलोकपुर दरबार बाला सुन्दरी ने । Lagaya Trilokpur Darbar Bala Sundri Ne ।। Dinesh Singla
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