ये मंत्र है मां चामुण्डा का, इस में मां शक्ति समाती है, हर इक चिंता हर इक बाधा, इसे जपने से मिट जाती है, नहीं बाल भी बांका हो उसका, जो सुमिरे इसे मन से सच्चे, ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।
जब चंड मुंड महिषासुर का, इस धरती पर आंतक मचा, सबको ही सताया असुरों ने, कोई भक्त ना साधू संत बचा, तब तुम्हें पुकारा था मईया, अब संकट में तेरे बच्चे, ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।
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मां दुर्गति हारिणी दुर्गे ने, सदा धर्म का साथ निभाया है, जब जब धरती पर पाप बढ़ा, मां ने त्रिशूल उठाया है, दुष्टों का रक्त पिए काली, और खा गई दुष्टों को कच्चे, ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।
हे नमन तुम्हें मां जगदम्बे, हे नमन तुम्हें मईया काली, ना तुमसा कोई और हुआ, तूँ ही सब से शक्तिशाली, तूँ दया दृष्टि हम पर रखना, हम सभी तो हैं तेरे बच्चे, ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।