खुल्ला खुल्ला केश मां की सूरत है लुभावनी भजन
खुल्ला खुल्ला केश मां की,
सूरत है लुभावनी,
भक्तां के बेगी आजो जी,
सातु बेहणीयां पावणी।
ग्यारहवीं सदी के माई,
दे पाचारण के घर में,
कन्या जन्मी सात ,
जाकी सूरत मन भावनी,
भक्तां के बेगी आजो जी,
सातु बेहणीयां पावणी।
सबसु बड़ी बिजासन माता,
इंदरगढ़ पूजवाई सा,
दूजी कन्या रामगढ़ में,
बैठी रामा बाई सा,
भक्तां के बेगी आजो जी,
सातु बेहणीयां पावणी।
तीजी कन्या लाल बाई,
डूंगर गढ़ पूजवाई सा,
बरवाड़ा की चौथ भवानी,
चौथी बहिण बताई सा,
खुल्ला खुल्ला केश मां की,
सूरत है लुभावनी,
भक्तां के बेगी आजो जी,
सातु बेहणीयां पावणी।
देश धर्म हित सातु बेहणीया,
जन्मी राजस्थान में,
लखन भारती मां माया की,
झांकी है सुहावनी,
खुल्ला खुल्ला केश मां की,
सूरत है लुभावनी,
भक्तां के बेगी आजो जी,
सातु बेहणीयां पावणी।
यह भजन मां की महिमा का गुणगान करता है, जिसमें उनके सात रूपों का वर्णन किया गया है। इसमें बताया गया है कि मां ग्यारहवीं सदी में पचारण के घर में प्रकट हुईं और उनकी सात कन्यायें जन्मीं, जिनकी छवि मन को मोहित कर देती है। इन सातों बहनों में सबसे बड़ी हैं बिजासन माता, जो इंदरगढ़ में पूजी जाती हैं, और दूसरी रामगढ़ में विराजती हैं। इसमें माँ भवानी के प्रति अपनी भक्ति और श्रद्धा प्रकट करने का आह्वान किया गया है। यह भजन न केवल मां की महिमा का बखान करता है, बल्कि हमारे मन में उनकी कृपा पाने की आशा भी जगाता है।
khulla khulla kesh maa ki surat lubavani || new bijasan bhajan || खुल्ला खुल्ला केश मां की
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Author - Saroj Jangir
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