पंछियों की आवाजे गूंजती है आंगन
पंछियों की आवाजे गूंजती है आंगन में
पंछियों की आवाजे,गूंजती है आंगन में,
वो जरुर आयेंगे,
अबकी बार सावन में,
पंछियों की आवाजे,
गूंजती है आंगन में।
एक दुसरे का दुख,
बांटता नही कोई,
सब यहाँ पे उलझे है,
अपनी अपनी उलझन में,
वो जरुर आयेंगे,
अबकी बार सावन में,
पंछियों की आवाजे,
गूंजती है आंगन में।
जान से भी बढ़कर है,
उसको कैसे भुलू मैं,
वो बसा है इस दिल की,
एक एक धड़कन में,
वो जरुर आयेंगे,
अबकी बार सावन में,
पंछियों की आवाजे,
गूंजती है आंगन में।
जिस्म क्या जवानी क्या,
जिंदगी लुटा देंगे,
कोई हम को बांधे तो,
चाहतो के बंधन में,
वो जरुर आयेंगे,
अबकी बार सावन में,
पंछियों की आवाजे,
गूंजती है आंगन में।
वो जरुर आयेंगे,
अबकी बार सावन में,
पंछियों की आवाजे,
गूंजती है आंगन में।
Chand Qadri | New | दर्द भरी गज़ल | पंछियों की आवाजें गूंजती हैं आंगन में