सुख गई चमड़ी दुख दी हड्डियां

सुख गई चमड़ी दुख दी हड्डियां

हो की करिए मेरे राम बीच बुढ़ापे दे,
कोई ना दिंदा साथ बीच बुढ़ापे दे,
हो की करिए मेरे राम बीच बुढ़ापे दे,
कोई ना दिंदा साथ बीच बुढ़ापे दे।

आया बुढ़ापा कष्ट हजारां,
पिछे पड़ गए रोग हजारां,
रोज ही रेहंदा बुखार बीच बुढ़ापे दे,
कोई ना दिंदा साथ बीच बुढ़ापे दे,
हो कि करिए मेरे राम।

सुख गई चमड़ी दुख दी हड्डियां,
नींद ना आवे राता लंबियां,
रात हुई है पहाड़ बीच बुढ़ापे दे,
कोई ना दिंदा साथ बीच बुढ़ापे दे,
हो की करिए मेरे राम।

मनमर्जी दा मिलदा ना खाना,
जो कुछ मिलदा सो ही खाना,
मंगिए तां झिड़कां,
हजार बीच बुढ़ापे दे,
कोई ना दिंदा साथ बीच बुढ़ापे दे,
हो की करिए मेरे राम।

मौज करण लेई घर बनवाया,
नूहां पुतरां ने डेरा लाया,
मेरी मंझी बाहर बीच बुढ़ापे दे,
कोई ना दिंदा साथ बीच बुढ़ापे दे,
हो की करिए मेरे राम।

छड दे जग दे सारे धंधे,
राम नाम तू सिमर ले बंदे,
हो जाए बेड़ा पार बीच बुढ़ापे दे,
जपले राम दा नाम बीच बुढ़ापे में।

बोलो राम राम राम बोलो,
जय जय सियाराम,
बोलो राम राम राम,
बोलो राम राम राम,
बोलो राम राम राम,
बोलो राम राम राम।
 

#lyrics सुख गई चमड़ी दुख दी हड्डियां भजन ही ऐसा है हंस हंस के लोटपोट हो जाओगे बुढ़ापे का भजन

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