माँ को जो भी पुकारेगा मन से भजन

माँ को जो भी पुकारेगा मन से भजन

(मुखड़ा)
माँ को जो भी पुकारेगा मन से,
दौड़ी आएँगी मैया जतन से।।

(अंतरा)
सबका जीवन संवारेगी माता,
माता होती कभी ना कुमाता,
उनका पूजन करो तन और मन से,
दौड़ी आएँगी मैया जतन से।।

वो हैं माता, दुखी दीन-जन की,
आशा पूरी करें सबके मन की,
उनको करना ना ओझल नयन से,
दौड़ी आएँगी मैया जतन से।।

ध्यानू ने सच्चे मन से पुकारा,
शीश घोड़े का जोड़ा दोबारा,
राजेन्द्र, उनको पुकारो लगन से,
दौड़ी आएँगी मैया जतन से।।

(अंतिम पुनरावृत्ति)
माँ को जो भी पुकारेगा मन से,
दौड़ी आएँगी मैया जतन से।।
 


maa ko jo bhi pukare ga man se
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