धर्म का साथी ईश्वर है

धर्म का साथी ईश्वर है

धर्म का साथी ईश्वर है,
अधर्म का साथी कोई नहीं,
जन्म के साथी मात पिता है,
कर्म का साथी कोई नहीं।

कांधे कांधे आई पत्नी,
कांधे कांधे जाएगी,
तन मन धन,
सब कुछ दे दे पर,
कांधा ना दे पाएगी,
सुख की साथी दुनियां है,
पर दुख का साथी कोई नहीं,
धर्म का साथी ईश्वर है,
अधर्म का साथी कोई नहीं,
जन्म के साथी मात पिता है,
कर्म का साथी कोई नहीं।

बेटी तो रो लेगी घर में,
बेटा साथ ना छोड़ेगा,
दफन करेगा मिट्टी में,
तुझे जला जला कर छोड़ेगा,
दम के हमदम लाखों हैं,
बेदम का साथी कोई नहीं,
धर्म का साथी ईश्वर है,
अधर्म का साथी कोई नहीं,
जन्म के साथी मात पिता है,
कर्म का साथी कोई नहीं।

एक भाई भाई के खातिर,
चार घड़ी ही रोएगा,
अंतिम यात्रा में भाई को,
चार कदम ही ढोएगा,
जीते जी के रिश्ते नाते,
मरण का साथी कोई नहीं,
धर्म का साथी ईश्वर है,
अधर्म का साथी कोई नहीं,
जन्म के साथी मात पिता है,
कर्म का साथी कोई नहीं।

मित्र तुम्हारे शत्रु बनेंगे,
वो भी मुखड़ा मोड़ेंगे,
ले जाकर श्मशान में,
एक अकेला तुझे छोड़ेंगे,
सबका साथ ही स्वयं बना,
पर स्वयं का साथी कोई नहीं,
धर्म का साथी ईश्वर है,
अधर्म का साथी कोई नहीं,
जन्म के साथी मात पिता है,
कर्म का साथी कोई नहीं।
 


धर्म का साथी ईश्वर है,, बहुत बेहतरीन भजन

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