सत्संग तो बगैर मेरा मन न लगे भजन

सत्संग तो बगैर मेरा मन न लगे भजन

 
सत्संग तो बगैर मेरा मन न लगे भजन

सत्संग तो बगैर~मेरा मन न लगे,
हरिनाम तो बगैर~मेरा दिल न लगे।
हो~मन न लगे~मेरा दिल न लगे।।
सत्संग तो बगैर~मेरा मन न लगे।।

बागों के फूल~बागों में खिले,
मेरे मनवाला~फूल सत्संग में खिले।।
सत्संग तो बगैर~मेरा मन न लगे।।

मंदिर की ज्योत~मंदिर में जले,
मेरे मनवाली~ज्योत सत्संग में जले।।
सत्संग तो बगैर~मेरा मन न लगे।।

कागज़ की पतंग~डोरी से उड़े,
मेरे मन की पतंग~सत्संग से उड़े।।
सत्संग तो बगैर~मेरा मन न लगे।।

कपड़े की मैल~साबुन से धुले,
मेरे मनवाली मैल~सत्संग में धुले।।
सत्संग तो बगैर~मेरा मन न लगे।।

लकड़ी की नाव~पानी में चले,
मेरे मनवाली नाव~सत्संग में चले।।
सत्संग तो बगैर~मेरा मन न लगे।।

जंगल का मोर~जंगल में नाचे,
मेरे मनवाला मोर~सत्संग में नाचे।।
सत्संग तो बगैर~मेरा मन न लगे।।

दुनिया वाली रेल~पटरी पर चले,
मेरे मनवाली रेल~सत्संग में चले।।
सत्संग तो बगैर~मेरा मन न लगे।।

दुनिया के हीरे~बाज़ारों में मिले,
मेरे मनवाला हीरा~सत्संग में मिले।।
सत्संग तो बगैर~मेरा मन न लगे।।



सत्संग तौं बगैर || Satsang To Bagair || Acharya Sunil Vashisht || SR Studio

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Saroj Jangir Author Admin - Saroj Jangir

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