होशियार रहना रे नगर में चोर आवेगा

होशियार रहना रे नगर में चोर आवेगा

सब जग सुता नींद भरी,
और मोहे न आवे नींद,
काल खड़ा है बारने,
जैसे तोरण आया बिन्द।

होशियार रहना रे,
नगर में चोर आवेगा,
जाग्रत रहना रे,
नगर में चोर आवेगा,
एक दिन जम/यम आवेगा।

तीर तोप तलवार ना बरछी,
ना बन्दूक चलावेगा,
आवत जात नजर नही आवे,
वो भीतर घूम घुमावेगा।

गढ़ ना तोड़े किला ना तोड़े,
ना कोई रुप दिखावेगा,
इस नगरी से कोई काम नही रे,
वो तुझे पकड़ ले जायेगा।

अरे धन दोलत और,
माल खजिना/खजाना,
यहीं धरा रह जायेगा,
भाई बन्धु और,
कुटुम्ब कबीला,
खड़े देख रह जायेगा।

मुट्ठी बाँध कर आया जगत में,
हाथ पसारे जावेगा,
कहे कबीर सुनो भाई साधो,
तु करनी का फल पायेगा।

होशियार रहना रे,
नगर में चोर आवेगा,
जाग्रत रहना रे,
नगर में चोर आवेगा,
एक दिन जम/यम आवेगा।
 


होशियार रहना | Hoshiyar Rahna | Geeta Parag Kabir | Indian Folk

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