खजाने मेरी माँ सौ सौ हाथों से लुटाती

खजाने मेरी माँ सौ सौ हाथों से लुटाती

खजाने मेरी माँ,
सौ सौ हाथों से लुटाती है,
जो भी माँ का होता,
उसकी झोली भर जाती है।

मैया के खजानों में,
तो प्यार बेशुमार है,
बच्चों का खजाना तो,
बस मैया का दीदार है,
दाती माँ दरबार,
सजा के प्यार बरसाती है।

माँ चरणों की धूल की,
तो बात अलबेली है,
कैसे इससे किस्मत,
चमके अजब पहेली है,
माथे पे लगा के धूली,
चंदन बन जाती है।

मेरी माँ के हाथों में,
कुल श्रृष्टि का भंडार है,
जगजन्नी का प्यार,
सारी खुशियों का आधार है,
होती जब दयाल मैया,
गोदी में बिठाती है।

इस दर के फकीरों को,
खजाने मिल जाते हैं,
भक्त भी यहाँ बड़े,
दानी कहलाते हैं,
अपने हर इक लाल की,
माँ लाज बचाती है।

एक मांगने से सौ मिलता,
सौ मांगो हजार,
माँ से माँ को मांग लो,
फिर क्या करना संसार,
इक कदम तुम आओ माँ,
तो दौड़ के उठाती है।

खजाने मेरी माँ,
सौ सौ हाथों से लुटाती है,
जो भी माँ का होता,
उसकी झोली भर जाती है।
 



KHAZANE MERI MAA SAU SAU HAATON SE LUTANI HAI (DESRAJ JI) MAA VAISHNO DEVI BHAJAN 28TH APRIL 2023 AM
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