लक्ष्मण के निकल रहे प्राण लिरिक्स Lakshman Ke Nikal Rahe Pran Lyrics

लक्ष्मण के निकल रहे प्राण लिरिक्स Lakshman Ke Nikal Rahe Pran Lyrics

 
लक्ष्मण के निकल रहे प्राण लिरिक्स Lakshman Ke Nikal Rahe Pran Lyrics

जब लक्ष्मण शक्ति लगी तो,
उस समय प्रभु राम का दुख,
विलाप किसी को देखते,
नही बनता था।

मारे मेघनाद ने बाण,
लक्ष्मण के निकल रहे प्राण,
राम जी कर रहे विलाप,
उठ उठ जाओ मेरे अनुज,
कही दीप ना जाये बुझ,
राम के मन में है संताप,
मारे मेघनाद ने बाण,
लक्ष्मण के निकल रहे प्राण।

मेरे जैसा कोई भी धूर्त ना होगा,
जो पत्नी वियोग में भाई दे,
मैं युद्ध बिना वापस चला जाता हूं,
क्या होगा सीता,
प्राणों को त्यज देगी।

राम का देख कर विलाप,
सारे जग में हुआ सन्नाटा,
स्तब्ध हुए क्या लक्ष्मणजी,
सागर में रुका ज्वार भाटा,
राम को मौत क्यों नही आती,
ये राम कर रहे विलाप,
मारे मेघनाद ने बाण,
लक्ष्मण के निकल रहे प्राण।

मैं सीता को क्या बोलू,
हनुमत क्या पाप किया मैंने,
एक विजय की चाहत ने,
मुझे इतना स्वार्थी बना दिया,
अब विकल्प यही हैं,
मैं अब प्राण तजु।

उठ जाओ मेरे लखन,
तुम बिन सूरज नहीं निकलेगा,
तुम बिन नही होगी शाम,
अब कभी ना चंदा भी निकलेगा,
सिया के लिए भाई को खोया,
ऐसा स्वार्थ ने लिया आलाप,
मारे मेघनाद ने बाण,
लक्ष्मण के निकल रहे प्राण।

मारे मेघनाद ने बाण,
लक्ष्मण के निकल रहे प्राण,
राम जी कर रहे विलाप,
उठ उठ जाओ मेरे अनुज,
कही दीप ना जाये बुझ,
राम के मन में है संताप,
मारे मेघनाद ने बाण,
लक्ष्मण के निकल रहे प्राण।
 

लक्ष्मण के निकल रहे प्राण | Ram Lakshman Songs | हनुमान जी लाए संजीवनी बूटी | New Ramayan Bhajan

Lyric & Music - Ravindra Khare
Singer - Anurag Maurya

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