कौरव पांडव जुआ खेले शकुनी पासे फेंक

कौरव पांडव जुआ खेले शकुनी पासे फेंक रहा

दगा किसी का सगा नहीं है,
किया नहीं तो कर देखो,
जिस जिस ने भी दगा किया है,
जाकर उसका घर देखो।

दगा किया था रावण ने,
जब साधु भेस बनाया था,
भिक्षा लेने गया था लेकिन,
सीता ही हर लाया था,
लंका नगरी राख बनाया,
पल भर में हनुमत देखो,
जिस जिस ने भी दगा किया है,
जाकर उसका घर देखो।

कौरव पांडव जुआ खेले,
शकुनी पासे फेंक रहा,
दुर्योधन की चालाकी को,
वो नटनागर देख रहा,
बिना शत्रु के वंश मिटाया,
लीला नटवर की देखो,
जिस जिस ने भी दगा किया है,
जाकर उसका घर देखो।

किसी को धोखा देकर प्यारे,
एक बार खुश हो जाना,
कर्म की अग्नि में जल करके,
फिर जीवन भर पछताना,
सच्चा सुख पाने की खातिर,
भला किसी का कर देखो,
जिस जिस ने भी दगा किया है,
जाकर उसका घर देखो।

दगा किसी का सगा नहीं है,
किया नहीं तो कर देखो,
जिस जिस ने भी दगा किया है,
जाकर उसका घर देखो।
 




KAURAV PANDAV JUA KHELNE SHAKUNI PASE FEK RAHA

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