महाकाली का रूप विकराल बसी है कलकत्ता में लिरिक्स Mahakali ka Rup Vikaral Lyrics
महाकाली का रूप विकराल बसी है कलकत्ता में लिरिक्स Mahakali ka Rup Vikaral Lyrics
महाकाली का रूप विकराल,बसी है कलकत्ता में,
महाकाली का रूप विकराल,
बसी है कलकत्ता में,
बसी है कलकत्ता में,
बसी है कलकत्ता में,
महाकाली का रूप विकराल,
बसी है कलकत्ता में।
कर किलकारी मैया,
रणभूमि में कूदी
क्रोध भयंकर माँ का,
जब हुंकारा भरती,
वाने दानव दिए सब मार,
बसी है कलकत्ता में।
लम्बे लम्बे केश है माँ के,
गल मुंडो की माला,
आँखों में है क्रोध की,
ज्वाला हो रही लाल,
मैया कर रही है किलकार,
बसी है कलकत्ता में।
जय काली कलकत्ते वाली,
भक्तो के दुख हरने वाली,
नाच रही मंदिर में छम छम,
पीकर मधु की प्याली।