मत कर माया को अहंकार

मत कर माया को अहंकार

काल चक्र चक्की चले,
बहुत दिवस और रात,
अगुन शगुन दोई पाटला,
यामे जीव पिसाई,
जो उगे सो आत में,
फुले सो कुमलाय,
जो चुने सो ढई पड़े,
जन्मे सो मर जाय।

मत कर काया को घमण्ड,
मत कर माया को अहंकार,
काया धूल हो जासी,
मत कर माया को अहंकार,
मत कर काया को घमण्ड,
काया धूल हो जासी।

काया धूल हो जासी हो,
जैसे ओस रा मोती,
झोंका पवन का लग जाय,
झपका हवा का लग जाए,
काया गार से काची।

ऐसा सख्त था महाराज,
जिनका मुल्कों में नाम राज,
जिन घर झूलता हाथी,
जिन घर झूलता हाथी,
हो जिन घर झूलता हाथी,
उन घर दिया ना बाती,
झोंका झपका,
काया धूल हो जासी।

भरियो सिंदड़ा में तेल,
जहां से रच्यो है सब खेल,
जल रही दिया की बाती,
जल रही दिया की बाती,
हो जैसे ओस रा मोती,
झोंका झपका,
काया धूल हो जासी।

खूट गया सिन्दड़ा में,
तेल जहां से रच्यो थो सब खेल,
बुझ गयी दिया की बाती,
बुझ गयी दिया की बाती,
हो जैसे ओस रा मोती,
झोंका झपका,
काया धूल हो जासी।

ये तो लालों में का लाल,
जिनका कौन क्या हवाल,
जिनको जम ले जासी,
जिनको जम ले जासी,
हो जैसे ओस रा मोती
झोंका झपका,
काया धूल हो जासी।

बोल्या भवानी हो नाथ,
गुरुजी ने सिर पे रखिया हाथ,
जासे मुक्ति हो जासी,
जासे मुक्ति हो जासी,
हो जैसे ओस रा मोती,
झोंका झपका,
काया धूल हो जासी।

काया धूल हो जासी,
काया तेरी धूल हो जासी,
झोंका पवन का लग जाय,
झपका पवन का लग जाए।

मत कर माया को अहंकार,
मत कर काया को घमण्ड,
काया गार से काची हो,
जैसे ओस रा मोती,
झोंका झपका,
काया धूल हो जासी।
 


मत कर माया को अहंकार | Mat Kar Maya Ko Ahankar | Geeta Parag |

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