मौज लेते हैं, हम मौज लेते हैं, नहीं मिले तो श्याम कृपा से, खोज लेते हैं, मौज लेते हैं।
जो हैं श्याम दीवाने, वो तो सब हैं मस्ती में, चार चांद लग गए प्रेम के, उनकी हस्ती में, श्याम नाम हो हो हो, अमृत का सेवन रोज लेते हैं, नहीं मिले तो श्याम कृपा से, खोज लेते हैं, मौज लेते हैं।
चस्का सा पड़ गया है, अब तो खाटू जाने का, खाटु जाकर मन करता, वहीं रोज रहने का, कार्तिक सावन फागुन, ओर आसोज लेते है, नहीं मिले तो श्याम कृपा से, खोज लेते हैं, मौज लेते हैं।
रवि कहे जो आते एक बार, श्याम की नगरी में, ना घूमें वो दुनिया की, इस झूठी चकरी में, फिर सांवरिए की कृपा, भर भर गोझ लेते हैं, नही मिले तो खाटू जाकर, खोज लेते हैं।
मौज लेते हैं, हम मौज लेते हैं, नहीं मिले तो श्याम कृपा से, खोज लेते हैं, मौज लेते हैं।
Ravi Sharma Shriganganagar : Mauj Lete Hai Roj Lete Hai ~ मौज लेते है || Vik Music || Atalchatra