पहाड़ों वाली दाती के ही दर पे बात

पहाड़ों वाली दाती के ही दर पे बात बनती है

पहाड़ों वाली दाती के ही,
दर पे बात बनती है,
पहाड़ों वाली दाती के ही,
दर पे बात बनती है,
युगों से भटके जीवों की,
यहीं पर बिगड़ी बनती है,
पहाड़ों वाली दाती के ही,
दर पे बात बनती है।

शरण में मां की जो आये,
भव से पार उतर जाये,
चरण गंगा की लहरों से ही,
नावें पार उतारती है,
चरण गंगा की लहरों से ही,
नावें पार उतारती है,
पहाड़ों वाली दाती के ही,
दर पे बात बनती है।

मैया अपने बुलावे पे,
भक्त दर पे ले आती है,
बिठाकर अपने चरणो में,
मेरी मां दिल की सुनती है,
बिठाकर अपने चरणो में,
मेरी मां दिल की सुनती है,
पहाड़ों वाली दाती के ही,
दर पे बात बनती है।

मां रखना अपने चरणो में,
मुझे कुछ भी बना देना,
तेरे चरणों की धुली से ही,
सबकी किस्मत बनती है,
तेरे चरणों की धुली से ही,
सबकी किस्मत बनती है,
पहाड़ों वाली दाती के ही,
दर पे बात बनती है।

मां का अक्ष है बेटा,
ना मां से दूर हो सकता,
मां ही बेटे की उंगली को,
हमेशा थामे रखती है,
मां ही बेटे की उंगली को,
हमेशा थामे रखती है,
पहाड़ों वाली दाती के ही,
दर पे बात बनती है।

तेरे दरबार जगदम्बे,
जहां पे इक लोता है ऐसे,
तेरे दर के फकीर की ही,
झोली पल में भरती है,
तेरे दर के फकीर की ही,
झोली पल में भरती है,
पहाड़ों वाली दाती के ही,
दर पे बात बनती है।

तेरे तो धाम की मिट्टी,
तो बात निराली है
जिसे मिल जाती है,
नेमत ये सिर का ताज बनती है,
जिसे मिल जाती है,
नेमत ये सिर का ताज बनती है,
पहाड़ों वाली दाती के ही,
दर पे बात बनती है।

पहाड़ों वाली दाती के ही,
दर पे बात बनती है,
पहाड़ों वाली दाती के ही,
दर पे बात बनती है,
युगों से भटके जीवों की,
यहीं पर बिगड़ी बनती है,
जय जय अम्बे मां।


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