कबीर खड़े बाजार में, सबकी चाहे खैर, ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर।
खेल ब्रह्मांड का इस पिंड में देखिया, तो जगत की भरमणा सब दूर भागी, बाहर और भीतर एक आकाश्वत है, सुषुम्ना डोरी ताहां उल्टी लागी, पवन को पलट के शून्य में घर कीया, घर में अधर भरपूर देखा, कहे कबीर गुरु पूर की मैहर से,
त्रिकुटी मध्य दीदार देखा।
म्हारा सद्गुरु है रंगरेज, चुनर मोरी रंग डारी, रंगडारी गुरु ने रंगडारी, म्हारा सद्गुरु है रंगरेज, चुनर मोरी रंग डारी।
भाव के कुंड और नेह के जल में, प्रेम रंग दिना घोल, सत की चरसी लगाई के, खूब रंगी झकझोर,
Latest Newest Bhajans Complete Lyrics in Hindi (New Bhajan)
चुनर मोरी रंग डारी, म्हारा सद्गुरु है रंगरेज।
शाही रंग छुड़ाए के रे, दीनो मजीठा रंग, धोया से छूटे नहीं रे, दिन दिन होवे सुरंग, चुनर मोरी रंग डारी, म्हारा सद्गुरु है रंगरेज।
सद्गुरु ने म्हारी चुनर रंगी है, सद्गुरु चतुर सुजान,
सब कुछ उन पर वार दूं रे, मैं तन मन धन और प्राण, चुनर मोरी रंग डारी, म्हारा सद्गुरु है रंगरेज।
कहे कबीर सुनो रंगरेजवा, मुझ पर होया रे दयाल, शीतल चुनर ओढ़ के रे, मगन भाई मैं निहाल, चुनरिया मोरी रंग डारी, म्हारा सतगुरु है रंगरेज।
म्हारा सद्गुरु है रंगरेज, चुनर मोरी रंग डारी, रंगडारी गुरु ने रंगडारी, म्हारा सद्गुरु है रंगरेज, चुनर मोरी रंग डारी।
सद्गुरु है रंगरेज || Sadguru Hai Rangrez || Prahlad Singh Tipanya || kabir Bhajan