सतगुरु के चेहरे पे ऐसा नूर है

सतगुरु के चेहरे पे ऐसा नूर है

सतगुरु के चेहरे पे ऐसा नूर है,
दर्शन करने को ये दिल मजबूर है,
सतगुरु के चेहरे पे ऐसा नूर है,
दर्शन करने को ये दिल मजबूर है।

चिट्टा चोला पहन के,
जब वो सामने आते हैं,
फूलों वाले हार पहन कर,
जब भी वो मुस्काते है,
रुक जाती है धड़कन,
अब प्रभु स्वास नहीं आते हैं,
दुनिया की फिर कोई चीज भी,
रास नहीं आती है,
सतगुरु के चेहरे पे ऐसा नूर है,
दर्शन करने को ये दिल मजबूर है।

उनकी नजरों में ऐसा सरूर है,
दर्शन करने को ये दिल मजबूर है,
सतगुरु के चेहरे पे ऐसा नूर है,
दर्शन करने को ये दिल मजबूर है।

चरणदासिया पहन के सतगुरु,
जब श्री कदम बढ़ाते हैं,
उनके चरणों में फिर हम ये,
अपना शीश झुकाते हैं,
खिल जाती है कलियां,
और फूल भी मुस्काते हैं,
जब आकर सुंदर अपनी,
वो छवि दिखाते हैं,
हाल ये दिल का कहना जरूर है,
दर्शन करने को ये दिल मजबूर है,
सतगुरु के चेहरे पे ऐसा नूर है,
दर्शन करने को ये दिल मजबूर है।

श्री कार में बैठकर के जब,
प्रभु श्री मंदिर आते हैं,
इनके आने पर हम तो,
दीपक जलाते हैं,
भगतो के चेहरे भी फिर,
खिल खिल जाते हैं,
जब आकर सुंदर अपनी,
वह छवि दिखाते हैं,
आप ही वह हाजिर हजूर है,
दर्शन करने को ये दिल मजबूर है,
सतगुरु के चेहरे पे ऐसा नूर है,
दर्शन करने को ये दिल मजबूर है।

सतगुरु के चेहरे पे ऐसा नूर है,
दर्शन करने को ये दिल मजबूर है,
सतगुरु के चेहरे पे ऐसा नूर है,
दर्शन करने को ये दिल मजबूर है।
 



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