माँ में संसार समाया ऋषि मुनियों ने बतलाया

माँ में संसार समाया ऋषि मुनियों ने बतलाया

(मुखड़ा)
माँ में संसार समाया,
ऋषि-मुनियों ने बतलाया,
प्रभु ने खुद से भी ऊँचा,
माँ का स्थान बताया,
जगत सारा माँ की मन्नत है,
चरणों में जन्नत है।।

(अंतरा)
ममता के मंदिर की है,
ये सबसे प्यारी मूरत,
भगवान नज़र आता है,
जब देखूँ माँ की सूरत,
माँ के पावन चरणों में,
सच्चा बैकुंठ समाया,
इस प्यार भरी ममता को,
स्वयं नारायण ने पाया,
जगत सारा माँ की मन्नत है,
चरणों में जन्नत है।।

जो भरी धूप में कर दे,
अपने आँचल की छाया,
गोद में भर के तन को,
मेरा हर दोष मिटाया,
जो खुद धरती पर सोए,
मेरे हर अश्क को धोए,
चाहे जो कष्ट उठाए,
संतान ना भूखी सोए,
जगत सारा माँ की मन्नत है,
चरणों में जन्नत है।।

बच्चे के अपने आँसू,
आँचल में अपने पिरोती,
शब्दों में बयाँ ना होगा,
ऐसा अनमोल ये मोती,
नयनों में शीतल धारा,
जैसे चमकीला तारा,
हकलाती ज़ुबाँ को देती,
शब्दों की अविरल धारा,
जगत सारा माँ की मन्नत है,
चरणों में जन्नत है।।

(पुनरावृत्ति)
माँ में संसार समाया,
ऋषि-मुनियों ने बतलाया,
प्रभु ने खुद से भी ऊँचा,
माँ का स्थान बताया,
जगत सारा माँ की मन्नत है,
चरणों में जन्नत है।।
 


मां में संसार समाया ऋषि मुनियों ने बतलाया// जगत सारा मां की मन्नत है

भजन माँ की ममता और उसकी महानता का गुणगान करता है। माँ को संसार की सबसे बड़ी शक्ति बताते हुए, इसमें माँ की करुणा, प्रेम और त्याग को दर्शाया गया है। माँ के चरणों को स्वर्ग से भी ऊँचा स्थान दिया गया है, और बताया गया है कि माँ का आँचल हर संकट से रक्षा करता है।

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