भगवान तुम्हारे चरणों में मैं तुम्हे रिझाने आया हूँ
भगवान तुम्हारे चरणों में, मैं तुम्हे रिझाने आया हूँ, वाणी मैं तनिक मिठास नहीं, पर विनय सुनाने आया हूँ।
प्रभु का चरणामृत लेने को, है पास मेरे कोई पात्र नहीं, आँखो के दोनो प्यालो में, कुछ भीख माँगने आया हूँ, भगवान तुम्हारे चरणो में, मैं तुम्हे रिझाने आया हूँ।
तुमसे लेकर क्या भेंट धरू, भगवान आप के चरणों में, मैं भिक्षुक हूँ तुम दाता हो, सम्बन्ध बताने आया हूँ, भगवान तुम्हारे चरणो में, मैं तुम्हे रिझाने आया हूँ।
सेवा कोई वस्तु नही, फिर भी मेरा साहस देखो, रो रो कर आज आँसुओ का, मैं हार चढ़ाने आया हूँ, भगवान तुम्हारे चरणो में, मैं तुम्हे रिझाने आया हूँ।
भगवान तुम्हारे चरणों में, मैं तुम्हे रिझाने आया हूँ, वाणी मैं तनिक मिठास नहीं, पर विनय सुनाने आया हूँ।