दास रघुनाथ का नंदसुत का सखा Saroj Jangir दास रघुनाथ का नंदसुत का सखादास रघुनाथ का,नंदसुत का सखा,कुछ इधर भी रहा,कुछ उधर भी रहा।सुख मिला श्री अवध,और ब्रजवास का,कुछ इधर भी रहा,कुछ उधर भी रहा।मैथिली ने कभी, मोद मदक दिया,राधिका ने कभी,गोद में ले लिया,मातृ सत्कार में,मग्न होकर सदा,कुछ इधर भी रहा,कुछ उधर भी रहा।खूब ली है प्रसादी,अवध राज की,खूब जूठन मिली, New Bhajan 2023 यार ब्रजराज की,भोग मोहन छका,दूध माखन चखा,कुछ इधर भी रहा,कुछ उधर भी रहा।उस तरफ द्वार,दरबान हूँ राज का,इस तरफ दोस्त हूँ,दानी शिरताज का,घर रखता हुआ, जर लुटता हुआ,कुछ इधर भी रहा,कुछ उधर भी रहा।कोई नर या इधर,या उधर ही रहा,कोई नर ना इधर,ना उधर ही रहा,बिन्दु दोनों तरफ,ले रहा है मज़ा,कुछ इधर भी रहा,कुछ उधर भी रहा। das raghunath ka nand sut ka sakha | Ram Bhajan | Krishan Chandar Thakur ji Maharaj | #Bhajaneffects