जय हो, जय हो तुम्हारी माँ विंध्याचली, विंध्य पर्वत पे आना गजब हो गया, तेरा वध करने वाला तो गोकुल में है, कंस को ये बताना गजब हो गया, जय हो, जय हो तुम्हारी माँ विंध्याचली।। अंतरा 1:
मास भादों का था, तिथि अष्टमी, कंस के पाप से त्रस्त थी जमी, महामाया बनी, मायापति की बहना, शिशु का रूप धर आना गजब हो गया, जय हो, जय हो तुम्हारी माँ विंध्याचली, विंध्य पर्वत पे आना गजब हो गया।। अंतरा 2:
लाल वासुदेव का आठवां जानकर,
Mata Rani Bhajan lyrics in hindi
जब पटकने चला, कंस शत्रु मानकर, उस पापी दुराचारी के हाथों से, माँ, तेरा छूट जाना गजब हो गया, जय हो, जय हो तुम्हारी माँ विंध्याचली, विंध्य पर्वत पे आना गजब हो गया।। अंतरा 3:
भूमि का है अहम, सृष्टि की चाल में, पूजे ‘देवेन्द्र’ संग, जग कलिकाल में,
दर्शन ‘कुलदीप’ को, शक्ति रूपा तेरा, विंध्याचल में दिखाना गजब हो गया, जय हो, जय हो तुम्हारी माँ विंध्याचली, विंध्य पर्वत पे आना गजब हो गया।। (अंतिम पुनरावृत्ति)
जय हो, जय हो तुम्हारी माँ विंध्याचली, विंध्य पर्वत पे आना गजब हो गया, तेरा वध करने वाला तो गोकुल में है, कंस को ये बताना गजब हो गया, जय हो, जय हो तुम्हारी माँ विंध्याचली।।
जय हो जय हो तुम्हारी माँ विंध्याचली विंध्य पर्वत पे आना गजब हो गया#Devendra Pahtak pathak ji maharaj