जहां जहां राधे वहां जायेंगे मुरारी

जहां जहां राधे वहां जायेंगे मुरारी

गोकुल कि गलीयो में,
देखो धूम मची है आज,
ग्वाल बाल और गोप गोपियाँ,
झूमे सकल समाज,
धरा गगन मे हर्ष है छाया,
बजे मुरलिया साज,
मोर मुकुट पीताम्बर धारी,
आ पहुचे ब्रजराज।

बोलो जय कन्हैया लाल की।

जहां जहां राधे वहां जायेंगे मुरारी,
जहां जहां राधे वहां जायेंगे मुरारी,
अबीर गुलाल बरसाएंगे मुरारी,
रंग भरी पिचकारी मारेंगे मुरारी,
राधे कि,
राधे कि चुनर रंग डारेगे मुरारी,
जहां जहां राधे वहां जायेंगे मुरारी।

राधे रानी रूप है तो रंग है मुरारी,
राधा परिधान है तो अंग है मुरारी,
फूल में सुगध जैसे बसती है वैसे,
हर घड़ी राधाजी के संग संग है मुरारी,
जहां जहां राधे वहां जायेंगे मुरारी।

काहे करे कान्हा ऐसे मोसे छेड़खानी,
काहे रंग डारी ये चुनर मोरी धानी,
रोके तू डगर काहे मारे पिचकारी,
केसे समझाऊ तोहे हारी मै तो हारी,
जहां जहां राधे वहां जायेंगे मुरारी।

प्रेम मे रंगे है दोनों राधा और मुरारी,
एक दुजे संग खेले होली मनहारी,
वृन्दावन धाम संग रंगों मे है डूबे,
धरती गगन और गलिया ये सारी,
जहां जहां राधे वहां जायेंगे मुरारी।

अबीर गुलाल बरसाएंगे मुरारी,
रंग भरी पिचकारी मारेंगे मुरारी,
राधे कि,
राधे कि चुनर रंग डारेगे मुरारी,
जहां जहां राधे वहां जायेंगे मुरारी।

राधा राधा राधा राधा,
कृष्णा कृष्णा कृष्णा।
 

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