कलयुग सज धज बैठे धर्म


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कलयुग सज धज बैठे धर्म

मात पिता से मुख से ना बोले,
कड़वे वचन कलेजा छोले,
मरते ही गंगा बहा रहे,
धर्म धरती में समा गए रे।

बहन भांजी को कभी ना भुलावे,
सास ससुर को ना तीरथ करामें,
साली को शहर घुमा रहे,
धर्म धरती में समा गए रे।

देवी देवता को कभी नहीं पूजै,
साधु संत की सेवा ना जाने,
व्हाट्सएप पर टाइम बिता रहे,
धर्म धरती में समा गए रे।

कथा भागवत कभी नहीं सुनते,
हरि नाम को कुछ ना समझते,
ठेके पर लाइन लगा रहे,
धर्म धरती में समा गए रे।

पंडित बुलामे कथा करावे,
फिर पंडित को ढोंगी बतामें,
बिन श्रद्धा के कथा करा रहे,
धर्म धरती में समा गए रे।
 




KALYUG SAJ DHAJ BAITHE DHARM DHARTI MEIN SAMA GAYE

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