प्रेम लिरिक्स मसीही सांग Prem Masihi Song Lyrics
प्रेम लिरिक्स मसीही सांग Prem Masihi Song Lyrics
यदी मैं मनुष्य और स्वर्गदूतों की,बोली बोलू और प्रेम ना रखु,
तो मैं ठन ठनता हुआ पितल,
और झन झनती हुई झांज हूं।
यदि मैं भविष्यवाणी कर सकूं,
सब भेदों सब ज्ञान को समझूं,
और मुझे यहां तक,
पूरा विश्वास हो,
की मैं पहाड़ों को हटा दूं,
परन्तु प्रेम ना रखू,
तो मैं कुछ भी नहीं,
यदी मैं अपनी संपूर्ण संपत्ति,
कंगालों को खिला दूं,
या अपनी देह,
जलाने के लिए दे दूं,
और प्रेम ना रखु तो,
मुझे कुछ भी लाभ नहीं।
प्रेम धीरजवंत है,
प्रेम कृपालु है,
प्रेम दाह नहीं करता,
प्रेम अपनी बड़ाई,
करता नहीं है
प्रेम फुलता नहीं,
वो अनरीती नहीं चलता,
अपनी भलाई नहीं चहता,
झुंझलाता नहीं,
प्रेम बुरा नहीं मानता,
कुकर्म से खुश ना होता,
पर सच्चाई से आनंदित होता है,
वो सब बातें सह लेता है,
सब बातों की प्रतीति करता है,
सब बातों की आशा रखता है,
सब बातों में धीरज धरता है।
प्रेम प्रेम।
कभी नहीं कभी नहीं,
प्रेम कभी नहीं टलता,
पर अब विश्वास,
आशा और प्रेम,
ये तीनो स्थाई है पर,
इनमें सबसे बड़ा प्रेम है।
Yabesh Nag - Prem [Official Music Video]
Add Comment
comment url