वो जुबां किस काम की जो नाम हरि का ले ना सके लिरिक्स Wo Juba Kis Kaam Lyrics

वो जुबां किस काम की जो नाम हरि का ले ना सके लिरिक्स Wo Juba Kis Kaam Lyrics

वह जुबां किस काम की,
जो नाम हरि का ले ना सके।

मां ने तुझको शीश दिया है,
दर पर झुकाने के लिए,
वह शीश किस काम का जो,
हरि दर पर झुक ना सके,
वह जुबां किस काम की,
जो नाम हरि का ले ना सके।

मां ने तुझको कान दिए हैं,
सत्संग सुनने के लिए,
वह कान किस काम के,
जो सत्संग हरि सुन ना सके,
वह जुबां किस काम की,
जो नाम हरि का ले ना सके।

मां ने तुझको नैन दिए हैं,
दर्शन करने के लिए,
वह नयन किस काम के,
जो दर्शन हरि कर ना सके,
वह जुबां किस काम की,
जो नाम हरि का ले ना सके।

मां ने तुझको कंठ दिया है,
सुमिरन करने के लिए,
वह कंठ किस काम का,
जो नाम हरि ले ना सके,
वह जुबां किस काम की,
जो नाम हरि का ले ना सके।

मां ने तुझको हाथ दिए हैं,
ताली बजाने के लिए,
वह हाथ किस काम के,
जो सत्संग में ताली बजा ना सके,
वह जुबां किस काम की,
जो नाम हरि का ले ना सके।

मां ने तुझको पैर दिए हैं,
तीरथ करने के लिए,
वह पैर किस काम के,
जो हरि दर पर आ ना सके,
वह जुबां किस काम की,
जो नाम हरि का ले ना सके।
 




WO JUVA KIS KAAM KI JO HARI BHAJAN NA GA SAKE

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